Tag: कविता

आखिरी कश – शर्मिला

Post Views: 107 शर्मिला चेहरे बदले हम वहीं हैं एडिय़ाँ सदियों से मुँह खोले सिसक रही हैं हथेलियों में टिब्बें उग आए हैं मुट्ठी में चार दाने धुजते हाथ जला

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एक सरकार को श्रद्धांजलि – फ़िलिप लार्किन

Post Views: 166 फ़िलिप लार्किन (1922-1985) अनुवाद डा. दिनेश दधिची एक सरकार को श्रद्धांजलि अगले बरस सैनिकों को घर ले आएँगे। पैसे की तंगी है और यह ठीक भी है.

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किसान-जसबीर सिंह लाठरों

Post Views: 105 जसबीर सिंह लाठरों  दीप नहीं, दिल जलेंगें ख़ाली फ़सलों की हुई ऐसी बदहाली खेती जो छोड़ देगा किसान देश में कैसे रहेगी खुशहाली? हर तरफ महानगरों में

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अनसुलझा प्रश्न

Post Views: 182 विनोद सिल्ला  बनाया जिसने राजमहलों, भवनों, मिनारों को तरसता रहा वो ताउम्र छाँव के लिए खोदा जिसने तालाबों, कुओं, बावड़ियों को तरसता रहा वो ताउम्र पेयजल के

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मिट्टी में मिट्टी होने के सिवाय – ओम नागर

Post Views: 104 1 कौन हो तुम ? किसान हूँ साहेब क्या चाहिए कुछ नही थोड़ा… थोड़ा क्या पूरा बोलों यही कि थोड़ी कर्ज माफ़ी और थोड़ा दाम बढ़ जाएँ

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मुल्तान की औरतें – हरभगवान  चावला

Post Views: 150 हरभगवान  चावला की कविताएं मुल्तान की औरतें अस्सी पार की ये औरतें जो चलते हुए कांपती हैं लडख़ड़ाती हैं या लाठी के सहारे कदम बढ़ाती हैं धीरे-धीरे

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बोल बम, बोल बम – ओम सिंह अशफाक

Post Views: 166 ओम सिंह अशफाक  1 जिनका आज राज है, उन्हीं का सुराज है। शिक्षा भी उनकी है, स्कूल भी उनका। शाखा भी उनकी है, फूल भी उनका। शास्तर

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अंततः – वेंडी बार्कर

Post Views: 100 वेंडी बार्कर  अनुवाद दिनेश दधिची एक-दूजे के जलाशय में रहे हम तैरते रात-भर धुलती रही घुलती रही चट्टान तट पर धार से . जल-धार से . खुरदरे

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मेरी ओर हुए आकर्षित, ऐसे नए व्यक्ति हो तुम?

Post Views: 172 वाल्ट व्हिट्मन (1819-1892) मेरी ओर हुए आकर्षित, ऐसे नए व्यक्ति हो तुम?   मेरी ओर हुए आकर्षित, ऐसे नए व्यक्ति हो तुम? चेता दूँ शुरुआत में तुम्हें,

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बन्दा रिक्शा खींच रहा है – ओम सिंह अशफाक

Post Views: 260 ओमसिंह अशफाक  1 नया-नया किसी गांव से आया लगता है झिझका शर्माया ना रहने का कोई ठौर ठिकाना यूं शहर लगे उसको बेगाना संदर—सुंंदर भवन बणे हैं

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