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हरियाणा राजनीति विशेषांक

देस हरियाणा का 53-54 अंक हरियाणा की राजनीति पर केंद्रित है।

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  • आलोचनाMarch 12, 2025

    खुरदरे जीवन की भावुक कहानियां - कपिल भारद्वाज

    कपिल भारद्वाज इधर कविता के क्षेत्र में पिछले लगभग एक दशक से सक्रिय हैं। उनके दो काव्य संग्रह प्रकाशित हैं। हाल फिलहाल उनकी दिलचस्पी समीक्षा में बढ़ी है, जिसका परिणाम है हमारे पास उनका यह दूसरा समीक्षात्मक आलेख। कपिल ने वरिष्ठ साहित्यकार हरभगवान चावला की कहानियों का पाठ किया है। कहानियों पर केन्द्रित बातचीत हमारे सामने से लगभग गायब हो रही है, ऐसे में यह आलेख एक संवाद स्थापित करेगा ऐसी सम्भावना है-

  • समाज तैयार नहीं है सशक्त महिलाओं के लिए-आकांक्षा गौतम

    आकांक्षा गौतम एक संजीदा शोधकर्ता हैं, जो भारतीय समाज के हाशिए पर रहने वाले समुदायों की समस्याओं को उजागर करने और उनके लिए एक न्यायसंगत सामाजिक संरचना की मांग करने के लिए सतत कार्यरत हैं। विशेष रूप से, वे उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सफाई कर्मचारियों और मैला ढोने वालों के जीवन, उनकी सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों और उनके संघर्षों पर शोध कर रही हैं।

  • पुस्तकFebruary 21, 2025

     पूंजीवाद के नयेपन की पहचान - गोपाल प्रधान

     माना जाता है कि प्रत्येक संकट के साथ पूंजीवाद अपना रूप बदल लेता है । समस्या उसके साथ जन्म से ही लगी रही है । इन समस्याओं को हल करने

  • आलोचनाFebruary 19, 2025

    अँधेरे में : व्याख्यात्मक पुनर्पाठ - योगेश शर्मा

    कविता घटित होने का शिल्प : फैंटेसी मुक्तिबोध की कविता ‘अँधेरे में’ एक जटिल कविता के रूप में विख्यात है। इस कविता पर निरंतर बातचीत जारी है।  मुक्तिबोध का व्यक्तिगत

  • सामयिकFebruary 19, 2025

    कुंभ में जो डुबकी न लगा सके वे निराश न हों - अमरनाथ

    योग में रोज साथ देने वाले मेरे मित्र रमेश नांगलिया आज बहुत दुखी हैं. उन्हें कल सुबह कुंभ- स्नान के लिए प्रस्थान करना था. प्रयागराज में अपार भीड़ और जाम

  • आचरण की सभ्यता - सरदार पूर्ण सिंह

    विद्या, कला, कविता, साहित्य, धन और राजस्व से भी आचरण की सभ्यता अधिक ज्योतिष्मती है। आचरण की सभ्यता को प्राप्त करके एक कंगाल आदमी राजाओं के दिलों पर भी अपना प्रभुत्व

  • आलोचनाMarch 12, 2025

    खुरदरे जीवन की भावुक कहानियां - कपिल भारद्वाज

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  • समाज तैयार नहीं है सशक्त महिलाओं के लिए-आकांक्षा गौतम

    आकांक्षा गौतम एक संजीदा शोधकर्ता हैं, जो भारतीय समाज के हाशिए पर रहने वाले समुदायों की समस्याओं को उजागर करने और उनके लिए एक न्यायसंगत सामाजिक संरचना की मांग करने के लिए सतत कार्यरत हैं। विशेष रूप से, वे उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सफाई कर्मचारियों और मैला ढोने वालों के जीवन, उनकी सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों और उनके संघर्षों पर शोध कर रही हैं।

  • पुस्तकFebruary 21, 2025

     पूंजीवाद के नयेपन की पहचान - गोपाल प्रधान

     माना जाता है कि प्रत्येक संकट के साथ पूंजीवाद अपना रूप बदल लेता है । समस्या उसके साथ जन्म से ही लगी रही है । इन समस्याओं को हल करने

  • आलोचनाFebruary 19, 2025

    अँधेरे में : व्याख्यात्मक पुनर्पाठ - योगेश शर्मा

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  • कुंभ में जो डुबकी न लगा सके वे निराश न हों - अमरनाथ

    योग में रोज साथ देने वाले मेरे मित्र रमेश नांगलिया आज बहुत दुखी हैं. उन्हें कल सुबह कुंभ- स्नान के लिए प्रस्थान करना था. प्रयागराज में अपार भीड़ और जाम

  • निबंधFebruary 17, 2025

    आचरण की सभ्यता - सरदार पूर्ण सिंह

    विद्या, कला, कविता, साहित्य, धन और राजस्व से भी आचरण की सभ्यता अधिक ज्योतिष्मती है। आचरण की सभ्यता को प्राप्त करके एक कंगाल आदमी राजाओं के दिलों पर भी अपना प्रभुत्व

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