इज्जत की खातिर – नरेश कुमार

मां, सुन, रात को बबली और सोनिया की मौत हो गई। हां, बेटी ,उनके घर वाले कह रहे थे कि कल रात दोनों की पेट दर्द होने से मौत हो गई। मां, क्या इतना तेज दर्द होने पर भी उन्हें डाक्टर के पास नहीं ले गए? क्या पता बेटी, इनका परिवार ऐसा ही है, कभी अपने घर की बात को पड़ोस में भनक तक नहीं लगने देते। हां मां, मेरी चाची बाला कह रही थी कि किसी को बताना मत, इन दोनों बहनों को मारा गया है। बेटी, बाहर अपनी जुबान मत खोलना, ये गांव के बड़े खाते-पीते आदमी हैं, इनके पास काफी जमीन है और बड़े लोगों के साथ ऊठ-बैठ है।दो साल पहले भी इन्होंने बड़े लडक़े की बहू को मारकर फांसी पर लटका दिया थाऔर इनका कुछ नहीं बिगड़ा। लेकिन मां बबली और सानिया को इतनी सुबह तेज बारिश में जल्दी-जल्दी में चुपचाप शमशान घाट ले जाकर क्यों जला दिया गया?

बेटी ,ज्यादा उंची आवाज में मत बोल, कोई सुनकर चुगली लगा देगा तो हमारे साथ बैर बंध जाएगा। मां, मेरी सहेली मुकेश भी कह रही थी कि उसने कल शाम को 8 बजे दोनों बहनों को देखा था। दोनों बहनें पङ़ोस में विक्की के भाई की शादी के लेडिज संगीत में हंसी-खुशी से गीतों में मशगूल थी। मां, वे दोनों बहनें बहुत अच्छी थी। इस बार बबली ने बी ए में और सोनिया ने बी क़ाम प्रथम वर्ष में 60 परसेन्ट नम्बर लिए थे , दोनों कबड्डी की बहुत अच्छी खिलाड़ी थी। इस बार रोहतक में हुए अन्र्तविश्वविद्यालय युवा महोत्सव में दोनों बहनों को हरियाणवी नृत्य के लिए चुना गया था, लेकिन उसके भाइ्र्र व पिता ने भाग लेने से इन्कार कर दिया। इनके पड़ोस में रहने वाले मनोज ने भी युवा महोत्सव में भाग लिया था और उनकी टीम प्रथम स्थान पर रही थी। मां, मेरी सहेली मुकेश कह रही थी कि इन दोनों बहनों के भाई , चाचा व पिता जी को लडक़ों के साथ बात करना,खेलना व हंसना कतई पसंद नही था।

कल रात को लेडिज संगीत से घर आते हुए दोनों बहनें मनोज के पास खड़ी होकर अपने कालेज के युवा महोत्सव के बारे में बात कर रही थी और किसी बात पर वे आपस में हंस रहे थे,इस बीच उनका भाई जगमाल भी वंहा आ गया। बबली व सोनिया को मनोज के साथ हंसता देखकर वह आग बबूला हो गया। उसने मनोज को गाली-गलौच देते हुए जान से मारने की धमकी दी।जगमाल ने घर आते ही दोनों बहनों की जोर-जोर से पिटाई शुरू कर दी। तुम दोनों ने हमारी नाक कटवा दी, हमारी इज्जत मिटृी में मिला दी,हम गांव में मुंह दिखाने लायक नहीं रहे। पड़ोस के उस लफगें नाचने -गाने वाले के साथ हंसने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई।

बबली पिटाई का पूरे जोर से विरोध करते हुए कह रही थी कि हम एक ही कालेज में पढ़ते हैं और हमारे क ालेज के यूथ फैस्टीवल के बारे में कु छ बात कर भी ली तो इसमें कौनसा पहाड़ टूट गया। हम अपना अच्छा बुरा सब जानती हैं। हमारे चाल-चलन पर गांव में कोई उगंली नहीं उठा सकता ,जबकि तू छंटे हुए अपराधियों के साथ रहता है। बैंक का ए .टी. एम. तोडऩे के जुर्म में तू जेल की हवा खा चुका है। रामरती के प्लाट पर कब्जा करने वाले गुडों को तुमने ही घर ठहराया था। जुआ खेलता है और शराबियों के गिरोह में रहता है और फिर भी इज्जतदार होने का दावा करता है। तू किस इज्जत की बात करता है। बबली लगातार बोलती जा रही थी और सोनिया भी उसकी हां में हां मिला रही थी।

तुम्हारी जुबान को सदा के लिए बंद नहीं किया तो मेरा नाम भी जगमाल नहीं, उसने चीखते हुए कहा। अपनी बहनों के खात्में के लिए जगमाल रात को ही अपने चाचा के लडक़ों दिलावर व बलराज के पास पंहुचा। तीनों ने मिलकर अपने परिवार की ‘इज्जत की बहाली’ के लिए बबली और सोनिया को सबक सिखाने की ठान ली। रात के दो बजे बबली व सोनिया की गला दबाकर हत्या कर दी गई। बबली व सोनिया की मां रामरती अपनी बेटियों की मौत का पता लगते ही फूट-फूट कर रो पड़ी। घर – परिवार के मर्दों ने रामरती को डांटते हुए चुप रहने की हिदायत दी। अपने खानदान की कथित इज्जत की धज्जा ऊंची रखने की इस मुहिम में बबली और सोनिया का पिता भी शामिल था।

सम्पर्कः  1017 सेक्टर – 3, रोहतक-124001