1 तनै फसल पै न्यूं बरसाएं औळेजणूं दो देशां नै होकै क्रुद्ध आपस के मैं हो छेड़ा युद्ध किसान मनावै जे आवै बुद्ध जो रूकवावै तेरे बरसते गोळे तनै फसल… तनै भी हम समझें
1 तनै फसल पै न्यूं बरसाएं औळेजणूं दो देशां नै होकै क्रुद्ध आपस के मैं हो छेड़ा युद्ध किसान मनावै जे आवै बुद्ध जो रूकवावै तेरे बरसते गोळे तनै फसल… तनै भी हम समझें
गिरने के इस दौर में, कैसा शिष्टाचार।अच्छे हैं अब दाग़ भी, कहता है बाज़ार।। उतनी ऊँची कुर्सियाँ, जितने ओछे बोल।अगर तरक्की चाहिए, हर पल नफ़रत घोल।। भटयारी दानी हुई, पापी
अंगूठे महाजन के बहीखातों मेंजिन्दा दफ़न हैं आज भीअंगूठों के निशानों की कई पीढ़ियांआज भी अंगूठों के निशानों की सूखी स्याही मेंछटपटा रही है खेतों की मिट्टीधान की लहराती बालियों
1 . उस राह पर चल पड़ो उस राह पेजिससे थे बंधे वो सेतूकोसों दूर भाग रही है सभ्यता जिससेनैतिकता के घड़े अब फूटने लगे हैंरिसने लगा है खून पानी
कबीर परम्परा के संत कवि गरीब दास (संवत 1774 से 1835) हरियाणा के झज्जर जिले के छुड़ानी गांव में हुए। ‘ग्रंथ साहब’ में इनके लगभग 18000 पद संकलित हैं। संतों
जब बिना बैड मरीज़ सड़क पर पड़े हों आक्सीजन के बिना लोग तड़प कर मर रहे हों हस्पतालों को आग के हवाले किया जा रहा हो मरीज़ जल कर राख