रोज ताण ल्यो कट्टे पिस्टल जेली और तलवारां नै- विक्रम राही

विक्रम राही
रोज ताण ल्यो कट्टे पिस्टल जेली और तलवारां नै
हांगें आली जिद्द ले बैठी या बहोत घणे परिवारां नै
छोट्टी मोट्टी कहया सुणी रुप दूसरा लेज्या सै
नहीं तरारा डटै गात का माथे पै बल देज्या सै
हीणे बणकै क्यूँ ना मेटो तम आपस की तकरारां नै
भींत तै भींत लगै थारी डयोल तै डयोल खेत के माह
काल ताहीं तो खड़े दोनूं पाए एक दूजे के हेत के माह
भाई तै भाई लड़ा दिए नफरत के बाजारां नै
गुंडागर्दी दहशत पै आगे क्यों पुरखां आले खूड डिगा
महानगरां के आस पास भागां आले कै बचया बीघा
डिस्को थेक और रेव पार्टी लूट रही संस्कारा नै
मेहनत म्हारी पिछाण रही मेल रहया आपस के माह
अलग ढाल की पिछाण बणी और तरहां इब बढरे भा
हरियाणा की डोली लूट ली खुद हाथां आज कहारां नै
पहलम आली बात रही ना चोरां कै गल लाग लिए
वैहें मुल्क तरक्की करगे जो रहे बख्त मैं जाग लिए
कुछ पाखंड की भेंट चढया कुछ भरमाया सरकारां नै
हरियाणे की संस्कृति का कुछ तो करल्यो ख्याल
एण्डपणे और अड़ियलपण नै बहोत खो दिए लाल
प्यार प्रेम और सादेपण की बहण दयो फेर बहारां नै
आपस का ना प्यार मरै यो भाईचारा आबाद रहै
विक्रम राही हर माणस तै मेरी याहे फरियाद रहै
घमण्ड तेरा कै दिन खातिर कह भेज हलकारयां नै

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