मार्क्सवाद के बारे में बहुत से पर्वाग्रह लोगों के मन में घर कर गये हैं। उनमें से एक मुख्य धारणाा यह है कि इस दृष्टिकोण से प्रतिबद्धता गंभीर साहित्यिक विवेचन
मार्क्सवाद के बारे में बहुत से पर्वाग्रह लोगों के मन में घर कर गये हैं। उनमें से एक मुख्य धारणाा यह है कि इस दृष्टिकोण से प्रतिबद्धता गंभीर साहित्यिक विवेचन
साहित्यिक मसलों की मार्क्सवादी दृष्किोण से व्याख्या करने वाले समर्थ आलोचकों में लूकाच का नाम आता है। किन्तु उनकी कुछ मुख्य स्थापनाओं के बारे में मार्क्सवादी चिन्तकों में काफी मतभेद
कविता की भाषा का जन-भाषा से किस प्रकार का सम्बन्ध हो इस प्रश्न पर हम यहां केवल जनवादी कविता के संदर्भ में ही विचार करेंगे। कविता की भाषा के सवाल
डा. ओमप्रकाश ग्रेवाल का पत्र -1 ई-16, यूनिवर्सिटी कैम्पस,कुरुक्षेत्र (हरियाणा)-132119 30 अगस्त 1991 प्रिय भाई रमेश, आपका पत्र। बीच में एकाध दिन के लिए बाहर जाना पड़ा। इसीलिए तुरंत
डा ओमप्रकाश ग्रेवाल बदलाव के लिए प्रयासरत सक्रिय बुद्धिजीवी थे। हरियाणा के साहित्यिक-सांस्कृतिक परिवेश को उन्होंने गहरे से प्रभावित किया। रचनाकारों-संस्कृतिकर्मियों से हमेशा विमर्श में रहे। उनकी उपस्थिति किसी भी
पिछले साल मंडल आयोग की सिफारिशों के आधार पर सरकारी नौकरियों में से सत्ताईस प्रतिशत को सामाजिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित करने के राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के