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रागनियां रागनियां        प्रिय, पाठको, हम आपके लिये लेकर आ रहे हैं, डा. सुभाष चंद्र द्वारा संपादित पुस्तक – हरियाणवी लोकधारा प्रतिनिधि रागनियां – चुन कर कुछ मशहूर रागनियां। इन

विडियोMay 21, 2018

प्रस्तुति – डॉ. विजय विद्यार्थी हरियाणा सृजन उत्सव में  24 फरवरी 2018 को ‘दलित जब लिखता है’ विषय पर परिचर्चा हुई जिसमें प्रख्यात दलित कवि मलखान सिंह तथा कहानीकार रत्न

हरियाणा सृजन उत्सव में  24 फरवरी 2018 को ‘थिएटर ऑफ रेलेवंस’  के जनक मंजुल भारद्वाज से रंगकर्मी दुष्यंत के बीच परिचर्चा हुई और मौजूद श्रोताओं ने इसमें  शिरकत की। प्रस्तुत है इस संवाद की रिपोर्ट। सं.

हरियाणा सृजन उत्सव में  24 फरवरी 2018 को ‘हरियाणा के दर्शकों की अभिरूचियाँ’ विषय पर परिचर्चा हुई जिसमें फ़िल्म अभिनेता व रंगकर्मी यशपाल शर्मा, सीनियर आईएएस वीएस कुंडू, और गौरव आश्री ने अपने विचार प्रस्तुत किए। इस परिचर्चा का संचालन  किया संस्कृतिकर्मी प्रो. रमणीक मोहन ने। प्रस्तुत हैं परिचर्चा के मुख्य अंश - सं.

ये किया हमने हमने स्त्रियों की पूजा की  और लहूलुहान कर दिया हमने नदियों की पूजा की  और ज़हर घोल दिया  हमने गायों की पूजा की  और पेट में कचरा उड़ेल दिया हमने ईश्वर की पूजा की  उसके क़त्ल के लिए हमने  नायाब तरीका चुना हमने एक ईश्वर के  कई ईश्वर बनाए  और सब को आपस में लड़ा दिया ।

कविताMay 16, 2018

बात करती हैं नज़र, होंठ हमारे चुप हैं. यानि तूफ़ान तो भीतर हैं, किनारे चुप हैं. उनकी चुप्पी का तो कारण था प्रलोभन कोई और हम समझे कि वो ख़ौफ़ के मारे चुप हैं. बोलना भी है ज़रूरी साँस लेने की तरह उनको मालूम तो है, फिर भी वो सारे चुप हैं. भोर की वेला में जंगल में परिंदे लाखों है कोई खास वजह, सारे के सारे चुप हैं. जो हुआ, औरों ने औरों से किया, हमको क्या? इक यही सबको भरम जिसके सहारे चुप हैं.

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