नाटक पुराने कला रूपों में से एक है। इसमें सभी कलाओं का समावेश होता है। आदिम युग में संभवत: भाषा का विकास भी नहीं हुआ होगा, तब भी अभिनय के
नाटक पुराने कला रूपों में से एक है। इसमें सभी कलाओं का समावेश होता है। आदिम युग में संभवत: भाषा का विकास भी नहीं हुआ होगा, तब भी अभिनय के
गुलशन बावरा, कैफी आजमी, अली सरदार जाफरी, मजरूह सुल्तानपुरी, कमाल अमरोही, शकील बदायूंनी, साहिर लुधियानवी, गुलजार, जावेद अख्तर और निदा फाजली तक अधिंकांश बड़े गीतकार उर्दू के हैं किन्तु न तो उनके गीतों को ‘उर्दू गीत’ कहा जाता है और न तो उनकी फिल्मों को हम ‘उर्दू फिल्में’ कहते हैं .
बॉलिवुड के बेहतरीन ऐक्टर इरफान भले ही इस दुनिया से चले गए हों मगर फैन्स के दिलों में वह हमेशा जिंदा रहेंगे। इरफान को गुजरे पूरा एक साल हो चुका
राय के साँसों की रफ्तार धीमी हो चुकी थी। पैर थम से गए थे। शरीर पूरी तरह थक चुका था। उनकी आँखें अब पूरी पलक फैलाकर दुनिया को देखने में असमर्थ थीं लेकिन उनकी सोच अभी भी समाज की नब्ज को मजबूती से थामें हुई थी। हौसले बुलंद थे। शारीरिक अस्वस्थता के बावजूद खुद के प्रति उनका विश्वास कुछ ज्यादा ही था। जीवन के अंतिम क्षणों में वे फिल्म 'आगंतुक' के माध्यम से समाज के साथ कदमताल करते हुए सभ्यता विमर्श कर रहे थे। (लेख से)
प्रश्न-“आपके यहाँ इतनी अधिक भाषाएँ, इतनी अधिक जातियाँ हैं कि उनका पूरा गड़बड़झाला है। आप एक-दूसरे को किस तरह से समझ पाते हैं?” अबूतालिब का जवाब-“जो भाषाएँ हम बोलते हैं-भिन्न
थियेटर या रंगमंच जीवन के विविध रंगों को मंच पर प्रस्तुत करने की जीवंत विधा है। रंगमंच सही गलत के भेद को बारीकी से चित्रित करता है। रंगमंच सवाल खड़े करता है। रंगमंच समाज का आईना ही नहीं है, बल्कि परिवर्तन का सशक्त औजार भी है।