पुरानी होने से ही न तो सभी वस्तुएँ अच्छी होती हैं और न नयी होने से बुरी तथा हेय।विवेकशील व्यक्ति अपनी बुद्धि से परीक्षा करके श्रेष्ठकर वस्तु को अंगीकार कर लेते हैं और मूर्ख लोग दूसरों द्वारा बताने पर ग्राह्य अथवा अग्राह्य का निर्णय करते हैं।
पुरानी होने से ही न तो सभी वस्तुएँ अच्छी होती हैं और न नयी होने से बुरी तथा हेय।विवेकशील व्यक्ति अपनी बुद्धि से परीक्षा करके श्रेष्ठकर वस्तु को अंगीकार कर लेते हैं और मूर्ख लोग दूसरों द्वारा बताने पर ग्राह्य अथवा अग्राह्य का निर्णय करते हैं।
टोरी जावें लिबरल आवें। भारतवासी खैर मनावेंनहिं कोई लिबरल नहिं कोई टोरी। जो परनाला सो ही मोरी। ये शब्द हैं – पत्रकार, संपादक, कवि, बाल-साहित्यकार, भाषाविद्, निबंधकार के रूप में ख्याति अर्जित
सेवा देश दी जिंदड़िए बड़ी ओखी,गल्लां करणियां ढेर सुखल्लियां ने।जिन्नां देश सेवा विच पैर पाइयाउन्नां लख मुसीबतां झल्लियां ने। – करतार सिंह सराभा यह साल जलियांवाला बाग नरसंहार
विकास होग्या बहुत खुसी, गामां की तस्वीर बदलगीभाईचारा भी टूट्या सै, इब माणस की तासीर बदलगी -रामेश्वर गुप्ता पिछले दस-बारह सालों से ‘हरियाणा नं. 1’ की छवि गढने के लिए
अपने अल्फ़ाज पर नज़र रक्खो,इतनी बेबाक ग़ुफ्तगू न करो,जिनकी क़ायम है झूठ पर अज़मत,सच कभी उनके रूबरू न करो। – बलबीर सिंह राठी आजकल संवेदनशील स्वतंत्रचेता नागरिक ये महसूस कर रहे हैं
हरियाणा के गठन से ही जब-तब बुद्धिजीवी और राजनीतिज्ञ हरियाणा की पहचान ढूंढने की कवायद करते रहे हैं। लेकिन वे सर्वमान्य पहचान को चिह्नित करने में असफल ही रहे हैं।