आलोचना

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आलोचनाMarch 12, 2025

कपिल भारद्वाज इधर कविता के क्षेत्र में पिछले लगभग एक दशक से सक्रिय हैं। उनके दो काव्य संग्रह प्रकाशित हैं। हाल फिलहाल उनकी दिलचस्पी समीक्षा में बढ़ी है, जिसका परिणाम है हमारे पास उनका यह दूसरा समीक्षात्मक आलेख। कपिल ने वरिष्ठ साहित्यकार हरभगवान चावला की कहानियों का पाठ किया है। कहानियों पर केन्द्रित बातचीत हमारे सामने से लगभग गायब हो रही है, ऐसे में यह आलेख एक संवाद स्थापित करेगा ऐसी सम्भावना है-

आलोचनाFebruary 15, 2025

मध्यकालीन संतों और भक्तों के जन्म-मृत्यु व पारिवारिक जीवन के बारे में आमतौर पर मत विभिन्नताएं हैं। संत रविदास की कृतियों में उनके रैदास, रोहीदास, रायदास, रुईदास आदि अनेक नाम

25 व 26 फरवरी 2017 को कुरुक्षेत्र में हरियाणा सृजन उत्सव का आयोजन हुआ।  इस दौरान हरियाणा के साहित्य, रंगमंच, ललित कला, मीडिया व फिल्मों समेत सृजन की समस्त विधाओं में सृजन के विभिन्न पक्षों पर विचार-विमर्श हुआ। 'सृजन, सत्ता और समाज’ विषय पर वक्तव्य के साथ प्रख्यात समीक्षक बजरंग बिहारी तिवारी ने सृजन उत्सव का उदघाटन किया। इस सत्र की अध्यक्षता प्रो. टी आर कुण्डू ने की तथा रविन्द्र गासो ने संचालन किया। बजरंग बिहारी तिवारी का वक्तव्य तथा प्रो. टी आर कुण्डू की अध्यक्षीय टिप्पणी यहां प्रस्तुत है - सं.

आलोचनाSeptember 4, 2024

सावित्रीबाई फुले को प्रकृति से गहरा प्रेम था। मूलतः किसान परिवार से ताल्लुक होने के कारण मिट्टी के रंग व खुशबू उसके व्यक्तित्व का अभिन्न हिस्सा था। जोतिबा फुले का

पश्चिमी पंजाब के प्रसिद्ध शायर व कवि साबिर अली साबिर भारत और पाकिस्तान के दोनों पंजाब में समान रूप से जाना-माना नाम है। उनकी रचनाएं बहुत ही सीधे-सादे शब्दों में

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