admin

895Articles

शख्सियतOctober 21, 2025

असीन राजाराम उर्फ गगनदीप सिंह 11 साल की वह उम्र जब दुनिया एक खुली किताब होती है। हर नया चेहरा, हर नया किरदार, एक सपना बन जाता है। कभी फौजी

लोकधाराOctober 21, 2025

1 तनै फसल पै न्यूं बरसाएं औळेजणूं दो देशां नै होकै क्रुद्ध आपस के मैं हो छेड़ा युद्ध किसान मनावै जे आवै बुद्ध जो रूकवावै तेरे बरसते गोळे तनै फसल… तनै भी हम समझें

अरुण कुमार कैहरबा देस हरियाणा पत्रिका द्वारा हिन्दी आलोचना के मूर्धन्य हस्ताक्षर नामवर सिंह की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय

सामयिकOctober 21, 2025

 नवउदारवाद के आगमन के साथ विषमता में भयावह बढ़त देखी गयी । इसके रूप भी विविध प्रकार के बने । पहले से मौजूद समाजार्थिक विषमता को इसने नवीकृत किया ।

गिरने के इस दौर में, कैसा शिष्टाचार।अच्छे हैं अब दाग़ भी, कहता है बाज़ार।। उतनी ऊँची कुर्सियाँ, जितने ओछे बोल।अगर तरक्की चाहिए, हर पल नफ़रत घोल।। भटयारी दानी हुई, पापी

कविताOctober 21, 2025

अंगूठे महाजन के बहीखातों मेंजिन्दा दफ़न हैं आज भीअंगूठों के निशानों की कई पीढ़ियांआज भी अंगूठों के निशानों की सूखी स्याही मेंछटपटा रही है खेतों की मिट्टीधान की लहराती बालियों

सोशल मीडिया पर जुड़ें
सोशल मीडिया पर जुडें
Loading

Signing-in 3 seconds...

Signing-up 3 seconds...