सरपंची – जसबीर लाठरों

हरियाणवी कविता

गाम मां सरपंची के लेक्शन का, घणा इ रोळा ओर्या था,
जोणसा बी लेक्शन मां खड्या था, ओइयो बोळा ओर्या था,
भरतु शराबी देसी दारू कैढ का, लोगां ना रोज़ो पलाया करदा,
बिना पीण आळे ना बी, धक्के ते पलाया करदा,
खागड़ रूळदा अपणे आप ना, रान्डयां की फौज का कमांडर लाया करदा,
बोट्टां खातर रान्डयां ते ओ, ब्याह के सुपणे दखाया करदा,
सुण्ढा पैलवान बी अपणे पीस्यां ते, गरीबां ना गैस सलैन्डर दवार्या था,
उनके ब्याह तक के ख़र्चे, अपणे ठाढे सिर पा ठार्या था,
मोल्लू गरीबां की बस्ती मां, दिन-रैत आंड्या करदा,
कदे-कदे तो बोट्टां के चक्कर मां, पीसे बी बांड्या करदा,
डेरे आळा लँगड़ा फ़ौजी, बेसक टाँग पा गोळी खार्या था,
इस सरपंची की दौड़ मां ओ, सबते आगा जार्या था,
पराणे सरपंचां की गोज मां ओ, दो-दो लाख पार्या था,
इबकै उसका कणिया छोरा, बारले मुलक ते आर्या था,
खड़कु पंडत बी अपणा ब्योंत, ठीक-ठाक बणाण लगर्या था,
अपणे रूठे भाईयाँ ना ओ, पैरां मां पडकै मणाण लगर्या था,
मोल्लड अपणे खेतां की ढयोळ पा, कदै किसे ना नी चढ़ाया करदा,
लेक्शन आए पाछा ओ सबना, खेतां ते बरसीम की पांडां ठवाया करदा,
फत्ता मरोड़ी कदै राम-राम बी ना लेदां, ओ बी आथ-पैर जोड़ण लाग्या था,
ओल्ली-ओल्ली दिल मां गढ़का, ओ सारयां की बोट्टां तोडण लाग्या था,
इशमां बोळा कुणबे की बोट्टां ना देख, घणियो शेखी मार्या करदा,
आए बारी सरपंची के लेक्शन मां ओ, चौखी बोट्टां ते आर्या करदा,
पाछले सरपंच के कार-ट्रैक्टर तो, कतै सरकारी ओरे थे,
सारे गाम की सवारियाँ ना वाँ, दिन-रैत न्यूंए ढोरे थे,
आए एंतवार उनके ग्वाड मां, बण्डारा चाल्या करदा,
गरीबां के ब्याह मां ओ, घणा कन्यादान घाल्या करदा,
पंचैत की काळी कमाई देखका, आठ-दस सींग ठैरे थे,
कोए अपणे अर कोए लोन के, नोट लेक्शन मां लुटैरे थे,
इस ठण्ड मां सरपंची का, जमां कसूत्ता महोल गरमार्या था,
जिसते बी पुछां ओइयो, अपणे-आप ना सरपंच बणार्या था,
यें सारे अपणे-अपणे स्याब ते, अपणे जुगाड बठैरे थे,
इस सरपंची के लेक्शन मां, गाम के लोग बी मजे डैरे थे,
एक दिन अख़बार मां, इसा फतवा जारी ओया,
उस फतवे ना पढ़कै लोगो, म्हारा सारा गाम रोया,
इस सरकार ना, किसे ते अनपढ़ अर किसे ते डफाल्टर कै दिया,
सरपंची के इस लेक्शन मां, इन सार्यां ते ठेंगा दखै दिया ,
सरकार की या नीति, जमां उलटा काम करगी,
या ख़बर सुणदेई गामां, सबकी माँ सी मरगी,
मोल्लड ना तो उसै दिन अपणा, बरसीम का खेत बै दिया,
सुण्डे पैलवान ना बी गैस-सलैन्डर खातर, गरीबां ते कै दिया,
भरतु शराबी अपणी दारू, दिन-रैत आप्पे पीण लागग्या,
लँगड़ा फ़ौजी बी अपणे डेरे मां, इब फुट्टी भागग्या,
मोल्लु इस सरपंची मां, तीस लाख तळा अग्या,
खड़कु पंडत अस्पताळ मां जैका, कतई मुँह बैग्या,
पंचैत ते कमाई करका, पाछला सरपंच असली मळाई खैग्या,
खागड रूळदा कमान्डर बचैरा, इब रान्डे का रान्डा रहग्या,
सरपंची मां सारे कूद-काद का, अपणे घरां बैठगे,
लोग उनके पिस्यां ना, डीमक की तरियाँ चैटगे,
सारे गामां कोए बी, सरपंची के लायक नी दिख्या,
पूरे गाम मां कोए नी था, असली पढ़्या लिख्या,
जसबीर बी सरपंची खातर, आथ मळदाइ रैग्या,
पाछला सरपंच चंदरा म्हारी, गांम की बोट कटैग्या,
सारे गाम ना झूठ बोल कै, रूण्डे के छोरे का रिश्ता करवाया,
जिद जैका ओ बुण्डा छोरा, पढ़ी-लिखी बऊ नां लेका आया,
फेर सारे गाम ना वा बऊ, सर्वसम्मति ते सरपंच बणाई,
इस पढ़ी-लिखी जसरीत ना, म्हारे गाम की लाज बचाई!
स्रोतः सं. सुभाष चंद्र, देस हरियाणा ( सितम्बर-अक्तूबर, 2016) पेज-49

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *