लोक कथा

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लोक कथाJuly 28, 2023

रुरु एक मृग था। सोने के रंग में ढला उसका सुंदर सजीला बदन; माणिक, नीलम और पन्ने की कांति की चित्रांगता से शोभायमान था। मखमल से मुलायम उसके रेशमी बाल,

जातक या जातक पालि या जातक कथाएँ बौद्ध ग्रंथ त्रिपिटक का भाग है ।  जातक कथाओं को विश्व की प्राचीनतम लिखित कहानियों में गिना जाता है जिसमे लगभग 600 कहानियाँ

भादव के शुरू होते ही डेरू बजने की परम्परा भी जीवंत होती है. गांव देहात मे भादव के आने पर डेरू वाले एकम से लेकर नवमी तक डेरू बजाते हुए

हरियाणवी लोककथा एक गाम म्हं दो पाळी आपणे डांगर चराया करदे। एक रात नै दोनों की म्हैस ब्याण का सूत बेठग्या। उनमैं जो आलसी था वो बोल्या भाई मैं नींद

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