हरभगवान चावला की कहानियां रोजमर्रा के जीवन से अपना कथ्य लेती हैं। मामूली लगने वाली घटनाएं कैसे जीवन को प्रभावित करती हैं, यह हरभगवान चावला की लघुकथाएँ पढ़कर समझा जा
हरभगवान चावला की कहानियां रोजमर्रा के जीवन से अपना कथ्य लेती हैं। मामूली लगने वाली घटनाएं कैसे जीवन को प्रभावित करती हैं, यह हरभगवान चावला की लघुकथाएँ पढ़कर समझा जा
1. इंसाफ़ एक रात शाही महल में एक भोज हुआ। इस मौके पर एक आदमी आया और उसने शहजादे के सामने नमन किया। सभी मेहमान उसकी तरफ़ देखने लगे। देखा
हरभगवान चावला सिरसा में रहते हैं। हरियाणा सरकार के विभिन्न महाविद्यालयों में कई दशकों तक हिंदी साहित्य का अध्यापन किया। प्राचार्य पद से सेवानिवृत हुए। तीन कविता संग्रह प्रकाशित हुए और एक कहानी संग्रह। हरभगवान चावला की रचनाएं अपने समय के राजनीतिक-सामाजिक यथार्थ का जीवंत दस्तावेज हैं। सत्ता चाहे राजनीतिक हो या सामाजिक-सांस्कृतिक उसके चरित्र का उद्घाटन करते हुए पाठक का आलोचनात्मक विवेक जगाकर प्रतिरोध का नैतिक साहस पैदा करना इनकी रचनाओं की खूबी है। हाल ही में हरभगवान चावला को मैथिलीशरण गुप्त श्रेष्ठ कृति पुरस्कार से सम्मानित किए जाने की घोषणा हुई है। हरभगवान चावला जी का एक लघुकथा संग्रह 'बीसवाँ कोड़ा' शीर्षक से शीघ्र ही प्रकाशित हो रहा है उसके लिए उन्हें शुभकामनाएं। प्रस्तुत है उनकी पांच लघुकथाएँ-
सुल्तान की सवारी निकल रही थी और बूढा फकीर उसके रास्ते में ही बैठा हुआ था। वजीर पंहुचा – बाबा ! दुनियाँ का सबसे ताकतवर सुल्तान इस रास्ते से गुजर
राजा और उसके मन्त्री विलासी थे। खजाना खाली हो गया। आश्रमों की वृत्ति बंद हो गयी। ऋषि ने कहा कि देश की संस्कृति और देश की प्रज्ञा को प्राण तो