जयसिंह

जयसिंह

झज्जर जिले के रईया गांव में सन् 1946 में साधारण किसान परिवार में जन्म। 1985 से जनवादी नौजवान सभा के माध्यम से वामपंथी विचारों से जुड़े और रागनी लेखन में सक्रिय हुए। शोषणकारी व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष-चेतना इनकी रागनियों का प्रमुख स्वर है। सुण के कमेरे नाम से रागनी-संग्रह प्रकाशित हो चुका है।

1

कर रह्या सै धुर दिन तै खोटी मालक बेईमान
हड़प कमाई करकै
 
आदि काल मै बणा कबीले मानव रह्या करै था रै
जो कुछ दु:ख सुख था आपस मै मिलकै सह्या करै था रे
प्रकृति के परकोपां नै ईश्वर कह्या करै था रै
कन्द मूळ फळ ल्यावण नै जंगल मै मरद फिर्या करते
पत्थर के हथियार बणां सारे शिकार कर्या करते
घर में औरत काम करैं वे सबका पेट भर्या करते
फेर या लगी वर्ग की खेती सोटी तम करे कती गलतान
बात हवाई करकै
 
जब खेती का चलन हूया जब कब्जे पड़ण लागगे रै
न्यारे-न्यारे टोळ बणा आपस मैं लडऩ लागगे रै
ठाढ्यां के कब्जे होगे बोद्यां नै घड़ण लागगे रै
फिर थोड़े से मालक होगे ज्यादा दास बणाये थे
ना कोये भी अधिकार मालकां नै घणे सताये थे
फिर दासां ने विद्रोह कर दिया जब मालक घबराये थे
फेर लई बिठा धर्म की गोटी ये भका लिये इन्सान
घणी सफाई करकै
 
फिर सामन्ती प्रथा होगी शोषण जारी राख्या रै
अधिकार पैदा पै इनका और ना अधिकारी राख्या रै
जात धर्म म्हं बांट के अपणां पलड़ा भारी राख्या रै
जब मुद्रा का चलन हुआ पूंजी की शक्ति होगी रै
लोकतन्त्र का लोभ दिखा वा सामन्तां नै खोगी रै
फिर पूंजीवादी चक्र चाल्या दुनिया आन्धी होगी रै
फेर भी म्हारी रहगी अक्कल मोटी ना राख्या अपणा ध्यान
मरे सहम लड़ाई करकै
 
ईब सारे साधनां पै होगे कब्जे पूंजी आळां के
काम करणिये माणस तै इब रोड़े होरे गाळां के
म्हारे धोरै धेला ना ये मालक होरे माळां के
जमीन खान कारखाने मैं हम कमा-कमा कै मरर्ये सां
खाली जेब पड़ी म्हारी हम इनकी झोली भरर्ये सां
कट्ठे होकै लड़ो लड़ाई क्यूं बिन आई मरर्हे सां
‘जयसिंह’ बात नहीं या छोटी थारा कती नहीं कल्याण
घणी समाई करकै
 

2

सुरक्षा परिषद् की मानी नां इसी दादागिरी दिखावै सै
एशिया पै अमरीका अपना प्रभुत्व चाहवै सै
 
आज इराक कल थारा नम्बर करो ख्याल एशिया का
कती लूटणां चाहवै सै यो माल एशिया का
एक इराक की बात नहीं यो सवाल एशिया का
जै कट्ठे नहीं हुये तै आलिया यो काळ एशिया का
इस खुदा बण्या हांडै सबनै धमकावै सै
 
भारत चीन रूस इरान इराक नै एक मंच बणाणा चहिये
हमले के परिणाम गलत होंगे यो न्यूं धमकाणा चहिये
ओरां के घर में नां बड़्या करैं यो न्यूं समझाणा चहिये
फिर जै युद्ध होज्या तैं ना उलटा जाणा चहिये
मानवता की रक्षा करल्यो के रोज वक्त थ्यावै सै
 
सारी दुनिया नै बेरा सै इके खूनी खेल का
सद्दाम का नाम काम सै असली तेल का
पाडऩा ऊंट बणा दिया तम नै यो बिना नकेल का
कुछ भी भय ना मान रहा यो थारी सेल का
वोहे डर कै भाजै यो जिस कैडय़ां मुंह ठावै सै
 
नकेल घालणी जरूर पड़ैगी इस शैतान कै
नाक में दम कर राख्या इनैं पूरे जहान कै
तम सारे क्यूं बट्टा ला रहे अपणी श्यान कै
गुण्डे का हो जूत गुरू या चालो मान कै
इक दिन सबनै जाणां ‘जयसिंह’ क्यूं घबरावै सै
 

3

पूंजीवाद व्यवस्था देश मैं माची लूट खसोट
मार दिये मेहनतकश बिन खोट
 
इसी व्यवस्था बणी देश मैं भूखा मरै कमेरा सै
जो तिनका भी नां ठाकै  धरता कती मौज सी लेर्या सै
थारी मेहनत पै कब्जा करकै तम नै ये दु:ख देेर्या सै
म्हारी एकता तोडऩ खातर चालै सै ये नई-नई चाल
कदे धर्म म्हं कदे जात म्हं कदे भाषा का करै सवाल
कदे इलाके म्हं अळझा कै बदल गिरै सै म्हारा ख्याल
चौगरदे तै जाळ गेर यें दे सैं गळ न घोट
मार दिये मेहनतकश बिन खोट
 
कई खरब के करे घोटाले या भी थारी कमाई सै
जिस तरियां ये चाल रहे या कती नाश की राही सै
बुद्धिजीवी माणस कै तै होती नहीं समाई सै
जै याहे रही चाल देश की क्यूकर होवे गुजारा सै
जो देश चलावण आळा सै वोहे लूट मचा रहा सै
चक्र खाग्या देश कती जब लगी हवाला की चोट
मार दिये मेहनतकश बिन खोट
 
राजनीति म्हं गुण्डे बडग़े इब गुण्ड्यां का होग्या राज
जो अपणे घर म्हं डाका डालै उनके सिर पै होग्या ताज
मेहनतकश तू सोच समझ ले तेरे सिर पै रही सै बाज
इब गुण्ड्यां की चक चढ रही सै सुणळे बात लगाकै ध्यान
सुप्रीम कोर्ट नै पत्र द्वारा इब गुण्डे देवैं सै ज्ञान
लडऩी आप लड़ाई होगी जब रहगी दुनियां मै श्यान
सारा बेरा पर नां बोलै बिचारी सरकार का के खोट
मार दिये मेहनतकश बिन खोट
 
ओर के लिखूं इन गुण्ड्यां की बाकी बात रही कोन्यां
ठाढ़े आगै हीणे की कोय जात जमात रही कोन्यां
कोण कमेरा मन्नै बताद्यों जिसनै लात सही कोन्यां
क्यूं खावो सो लात बात सै थोड़ा ध्यान लगाणे की
मिल कै सारे लड़ो लड़ाई या टोली ना थ्याणे की
समझदार के खटक लागज्या इस  जयसिंह  के गाणे की
तम संगठित हो कै लड़ो लड़ाई मारो सिर मै टयोंट
मार दिये मेहनतकश बिन खोट
 

4

तम तै दिये रै कमेर्यो मार लूटेरे लेगे माल थारा
 
सब कुछ करता भूखा मरता हो रह्या सै लाचार
धोती कुड़ता तेरा पाट रहा घर आळी की सलवार
थारा लूट लिया रोजगार होगे इनके पौ बारा
 
कोय जाट कोय ब्राह्मण वाल्मीकि कोय सुनार
कोय हिन्दू कोय मुसलमान कोय ईसाई सरदार
कोय ठाकुर कोय चमार एका दिया तोड़ म्हारा
 
लूटेर्यां कै सूत आवै थारी पाटंग टूट विचार
सब तरियां की छूट दे इननै या भ्रष्ट बणी सरकार
इन नै नां मेहनतकश तै प्यार शोषण कर रहे रोज थारा
 
कट्ठेहोल्यो दुश्मन टोहल्यो जब जावैगी पार
हक की खातर कटण मरण नै रहो 24 घण्टे त्यार
मत रहो ‘जयसिंह’ ताबेदार मशवरा लियो मान म्हारा
 

5

गरीब नवाज कहो जिसने वो मनै लागै से पुंजी दास
दैवी शक्ति भाग छोड़ मेहनत संगठन मै लाल्यों आस
 
दिन और रात कमावैं फिर भी पूरा कोन्यां पटता
कमर तोड़ मेहनत कर लैं भी सांटा कोन्यां सटता
गोड़्यां टोटा चल रहा फिर भी 24 घण्टे रटता
जो भूल बिसर कै  याद करै नै धन बढ़ रहा सै नां बटता
रहे लूट कमेरे तन्नै लूटेरे थारा राम कदे नां काढै सांस
 
तीन जगह धन पैदा हो सै जमीन खान कारखाने मैं
तीनों पै कब्जा इनका हम बिक रहे दो-दो आने मैं
म्हारा कब्जा चहिये इस धन पै सही मायने मैं
तम राम के घर मैं कहो बराबर या मच रही लूट जमाने मैं
मेहनतकश नै लूटण खातर क्यूं दे राख्या खुल्ला पास
 
जो सब कुछ पैदा करता वो सिर पै तन्नै भी धर र्या सै
कुछ यें लूटंै कुछ बोझ तेरा न्यूएं भ्रमता फिर र्या सै
रोटी कपड़े दवा बिना इक तड़प-तड़प मर र्या सै
हक मांगैं तै गोळी मिलती तूं न्याय इसा कर र्या सै
इस माणस खाणी राज सत्ता मैं तेरा कती हो लिया पर्दाफास
 
माणस की या बणी व्यवस्था इमै राम कड़ै बड़ रहा सै
माणस लूट करैं माणस की बता करम कड़ै अड़ रहा सै
राज सत्ता पै कब्जा जिसका वो आगै बढ रहा सै
मानव अधिकार खत्म कर राखे न्यूं  ‘जयसिंह’ लड़ रहा सै
संगठन बिन उद्धार नहीं छोड़ दियो सब झूठी आस
 

6

ध्यान लगा के सुणल्यो तै इक राज की बात बताऊं
थारी आंख्या आगै पडऱ्या सै मैं उस परदे नै ठाऊं
 
ट्रैक्टर इंजन पाइप डीजल सब पूंजीपति के आवैं सैं
खाद बीज दवाइयां के वैं मन आवे भा लावैं सैं
बैंक कर्ज दें पाछै पहले धरती नै धरवावैं सैं
फसल तेरी जब जा मण्डी म्हं वैं हे भाव बतावैं सैं
छ: महीने की मेहनत तेरी यें लेंगे लूट कमाऊ
 
कारखाने और खान्यां म्हं तू रोज कमावै सै
रेल हवाई जहाज बिजळी तू हे बणावै सै
बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बांध नहर भी तू हे ल्यावै सै
रोटी कपड़ा मकान दवाई नां फिर भी थ्यावै सै
क्यों के तेरी मेहनत पै कर कर्ये सैं ये कब्जा लूटू खाऊ
 
मजदूर और किसान देश म्हं करैं रात-दिन काम
24 घण्टे लगे रहैं ना मिलै एक मिनट आराम
जवानी म्हें बूढे होगे गया सूक गात का चाम
राज सत्ता पै कब्जा इनका या सरकार काम चलाऊ
 
म्हारी जूती सिर भी म्हारा यें फोडऩ लाग रहे
मेहनत करैं कमाऊ यें धन जोडऩ लाग रहे
विदेशां मै धन जमा देश नै तोडऩ लाग रहे
ये जनवादी थारे संगठन जोडऩ लाग रहे
जयसिंह सारे कट्ठे होल्यो मैं तै पहले मुंह बाऊं
 
 
 
 
 
 

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