Post Views: 90 क्रान्तिज्योति नाम सावित्री,उसने मन में ठानी थी,तलवार कलम को बना करकेक्रांति सामाजिक लानी थी। शिक्षा का प्रचार करकेसबको नई राह दिखानी थी,सब के ताने सुन-सुन केप्रथम शिक्षिका…
काव्य-गोष्ठी का आयोजन
Post Views: 208 अरुण कैहरबा राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, इंद्री के प्रांगण में 28 अक्तूबर 2018 को सृजन मंच इन्द्री के तत्वावधान में देस हरियाणा काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया…
दो मांएं -मदन भारती
Post Views: 652 कविता ये लाशें जो जमीन पर अस्त व्यस्त पडी हैं कुछ क्षण पहले ये हंस खेल रहे थे मारने से पहले इन्हें, घर से बुलाया गया था…
तेरा मेरा मनुवा – कबीर
Post Views: 673 साखी – सात दीप नौ खण्ड में, सतगुरु फेंकी डोर। हंसा डोरी न चढ़े, तो क्या सतगुुरु का जोर।। टेक तेरा मेरा मनुवा कैसे एक होई रे।…
कहा था न -हर भजन सिंह रेणु
Post Views: 765 कविता मैंने तुम्हें कहा था न मत कर कबीर-कबीर और अब शहर के बाहर खड़ा रह अकेला। अपने फुंके घर का देख तमाशा हक सच की आवाज…
सांझा लंगर -हरभजन सिंंह रेणु
Post Views: 568 कविता आओ मेरे लाल मेरी आंखों के तारो! मैं अब तुम्हारी भूख तुम्हारी रुलाई सहन नहीं कर सकती लो यह रस्सी गर्दन में डालकर झूल जाओ…
गैस गुबारा – बी. मदन मोहन
Post Views: 574 बाल कविता मैं हूं गैस गुबारा भैया ऊंची मेरी उड़ान नदियां-नाले-पर्वत घूमूं फिर भी नहीं थकान बस्ती-जंगल बाग-बगीचे या हो खेत-खलिहान रुकता नहीं कहीं भी पलभर देखूं…
अन्त मंथन – सुशीला बहबलपुर
Post Views: 630 अन्त मंथन ये आबो हवा बेचैन सी लगती है मुझे आज रूह हर शख्स की इस शहर में बेदम सी लगती है मुझे आज लगता है खो…
उत्सव हरियाणा सृजन – सिद्दीक अहमद मेव
Post Views: 669 कविता एक साथ इतने हैं रंग, देख के मैं तो रह गया दंग,, कोई गा रहा दफ पर यहां, कोई बजा रहा है मृदंग, उत्सव हरियाणा सृजन।…
ब्रजेश कृष्ण की कविताएं
सबुकछ जानती है पृथ्वी…
ये कैसी डरावनी परछाइयाँ
कि छिप रहे हैं हम
अपनी ही चालाक हँसी के पीछे
तहस-नहस हो रहे हैं घोंसले
डूब रही है पक्षियों की आवाज
मर रहा है हवा का संगीत