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बुद्धिवाद : पाखंड व अन्धविश्वास से मुक्ति का मार्ग – पेरियार

जो सुना जाता है; जो लिखा गया है; जो लम्बे समय से होता आ रहा है; जो बहुतों के द्वारा माना जाता है या जो ईश्वर के द्वारा कहा गया है; उस पर विवेकशील लोगों को तुरन्त ही विश्वास नहीं करना चाहिए। जो कुछ भी हमें आश्चर्यजनक लगता है, उसे तुरन्त ही दिव्य या चमत्कारी नहीं मान लेना चाहिए। हर परिस्थिति में हमें स्वतंत्र रूप से तर्कसंगत और निष्पक्ष रूप से सोचने के लिए तैयार रहना चाहिए। … Continue readingबुद्धिवाद : पाखंड व अन्धविश्वास से मुक्ति का मार्ग – पेरियार