वर्तमान दौर में दलित विमर्श, वृद्ध विमर्श, किसान विमर्श, स्त्री विमर्श, और थर्ड जेंडर विमर्श की खूब चर्चा रही है। प्रत्येक विमर्श मानव अधिकारों की मांग करता है और समाज से अपना मानव होने के हक की मांग करता है। इन्हीं विमर्शों में थर्ड जेंडर विमर्श भी मानव से मानव अधिकारों की मांग करता है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी इनकी मांगों को उचित मानते हुए थर्ड जेंडर की मान्यता दी है। थर्ड जेंडर ने सौंपे गए दायित्वों को भी बखूबी से निभाया है। यह इस बात का प्रमाण है कि थर्ड जेंडर किसी भी दृष्टि से अन्य वर्ग से प्रतिभा में रत्ती भर भी कम नहीं है। शबनम मौसी, कमला जान, मधु किन्नर, लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, आशा देवी आदि थर्ड जेंडर इसके उदाहरण हैं। अब आवश्यकता है समाज के सकारात्मक दृष्टिकोण की जिससे थर्ड जेंडर को मानव जीवन के अधिकारों से वंचित होने से बचाया जा सके। प्रस्तुत है डॉ. सुनील दत्त का लेख- … Continue readingथर्ड जेंडर विमर्श : एक पड़ताल- डॉ. सुनील दत्त