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जब कहा मैंने कुछ हिसाब तो दे -आबिद आलमी

Post Views: 245 ग़ज़ल जब कहा मैंने कुछ हिसाब तो दे।क्यों फ़रिश्तों की झुक गई आँखें।। इतने ख़ामोश क्यों हैं शहर के लोग।कुछ तो पूछें, कोई तो बात करें॥ अजनबी

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