वाम या लेफ्ट संज्ञा की उत्पति का इतिहास सन 1789 की फ़्रेंच रिवोल्यूशन से है। फ्रांस की नेशनल असेंबली में क्रांति के पक्षधर बाईं ओर बैठते थे र राजशाही के
वाम या लेफ्ट संज्ञा की उत्पति का इतिहास सन 1789 की फ़्रेंच रिवोल्यूशन से है। फ्रांस की नेशनल असेंबली में क्रांति के पक्षधर बाईं ओर बैठते थे र राजशाही के
राजेश भारती हरियाणा के कैथल जिले के गाँव काकौत के रहने वाले हैं। अपने आस पास होने वाली अप्रिय-अमानवीय घटनाओं से वाकिफ रहते हैं । राजेश भारती की ये कविताएँ शोषितों-वंचितों, महिलाओं के हक़ की बात करती हैं और वर्तमान में देशभर में व्याप्त धार्मिक उन्माद और नफरत के विरोध में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती हैं। प्रस्तुत हैं राजेश भारती की पांच कविताएँ-
वक्तृत्व कौशल विकास पर आधारित कार्यशाला आयोजित घरौंडा के गांव बरसत में स्वतंत्रता समता बंधुता मिशन भारत के तत्वावधान में नेतृत्व विकास एवं वक्तृत्व कौशल विकास पर आधारित की कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में देस हरियाणा, सृजन कला मंच, हरियाणा ज्ञान-विज्ञान समिति, डॉ. भीमराव अंबेडकर विचार मंच, गढ़ी भरल, युवा प्रयास मंच गढ़ी भरल, शहीद भगत सिंह पुस्तकालय गुढ़ा, शहद भगत सिंह पुस्तकालय चौरा, महषि वाल्मीकि वेल्फेयर सोसायटी मुबारकाबाद के प्रतिनिधियों ने भागीदारी की।
कुरुक्षेत्र । रविवार (5 मार्च 2023) को कुरुक्षेत्र में ‘स्वतंत्रता-समानता-बंधुता मिशन, भारत’ की कार्यशाला हुई । इसमें 25 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए । कार्यशाला में कुल तीन सत्र हुए । पहले सत्र में मिशन के सदस्यों ने अपने लक्ष्य और उनके अनुकूल जनसंवाद करने को लेकर चर्चा की । इस सत्र में सदस्यों ने एक अच्छे वक्ता के गुणों को लेकर बातचीत की । दूसरे सत्र में आगामी गतिविधियों के वक्ताओं व उनके परिप्रेक्ष्य के संबंध में चर्चा हुई व तीसरे सत्र में कार्य-योजना पर विचार हुआ ।
मनजीत भावड़िया का सम्बन्ध हरियाणा प्रदेश में सोनीपत के भावड़ गाँव से है. वर्तमान में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में उर्दू पढ़ाते हैं. कविता लेखन में लगातार सक्रीय हैं. उनकी तीन पुस्तकें "हरियाणवी झलक" (काव्य संग्रह), "सच चुभै सै" (काव्य संग्रह) और "हकीकत" (उर्दू कविता) नाम से प्रकाशित हैं. हाल फिलहाल जनवादी लेखक संघ भावड, सोनीपत की विकास शिक्षा समिति के महासचिव हैं. 09671504409 के माध्यम से उनसे बात की जा सकती है.
यद्यपि अकबर (1556-1605), जहांगीर (1605-1627) तथा शाहजहां (1627-1658) के राज्यकाल में हरियाणा में शांति रही और यहां पर सड़कों, सरायों, कोशमीनारों तथा कुओं का निर्माण किया गया, तथापि कृषकों की