All posts tagged in हरियाणवी रागनी

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नई रागनी के शिखर पुरुष पं. जगन्नाथ हमारे बीच नहीं रहे। देस हरियाणा की ओर से कलाकार को विनम्र श्रद्धांजलि। रचनाकार के स्वयं के बारे में जानना भी एक अनूठा अनुभव होता है। पं. जगन्नाथ जी के अवदान को याद करते हुए प्रस्तुत है  2013 में  रोशन वर्मा की पंडित जगन्नाथ से हुआ संवाद -

मीडियाAugust 4, 2018

आलेख हरियाणा में लोक मंच को ‘सांग’ के नाम से जाना जाता है। ‘सांग’ शब्द,  स्वांग शब्द से बना है जो नाट्य शास्त्र के ‘रूपक’ शब्द का पर्याय है।  सांग

देसहरियाणा सामाजिक-सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का मंच

आलोचनाJuly 18, 2018

नरेन्द्र कुमार  मास्टर सतबीर द्वारा गाए सांग व किस्से भगत सिंह,  सुभाष चन्द्र बोस, उधम सिंह, अंजना पवन, नल दमयन्ती, वीजा सोरठ, चापसिंह, जयमल फत्ता, पिंगला भरथरी, जानी चोर, शाही

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रागनीJune 20, 2018

मनोज पवार ‘मौजी’ मेरी भोळी सूरत कांब गई, मैं छोड़ रै आपणी धीर गया जलियांवाळे बाग का मंजर, मेरा काळजा चीर गया दन-दनादन गोळी चाली, दुश्मन के औजारां तै नर

देसहरियाणा सामाजिक-सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का मंच

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रागनीJune 20, 2018

रागनी धांय धांय धांय होई उड़ै दनादन गोली चाली थी।कांपग्या क्रैक्सटन हाल सब दरवाजे खिड़की हाली थी।। पहली दो गोली दागी उस डायर की छाती के म्हांमंच तै नीचैं पड़ग्या

करनाल जिले केसिधपुर गांव में साधारण दुकानदार के घर 9 मई 1951 को जन्म। थानेसर से जे.बी.टी. की। हरियाणा शिक्षा विभाग में शिक्षक रहे। साक्षारता अभियान में सक्रिय भागीदारी। सेवानिवृति के बाद साहित्यिक कार्य में व्यस्त। च्यौंद कसूती (रागनी संग्रह), डंगवारा (रागनी संग्रह), दंगे पागल होते हैं (कविता संग्रह), त्रिवेणी(दोहे, कुण्डलियां, हरियाणवी गजल) रचनाएं प्रकाशित।

देसहरियाणा सामाजिक-सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का मंच

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