विश्व पर्यावरण दिवस पर लिखी गई कर्मचंद केसर की कविता - लाग रही सै घणी मस्ताई माणस नै।
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मनै तेरे बिन सरदा कोनी – कर्मचंद केसर
मनै ते॒रे बिन सरदा कोनी।तौं क्यां तै हां भरदा कोनी। मिटदी नहीं तरिस्णा बैरण,जद लग माणस मरदा कोनी। अपणे दुक्ख…
राजकुमार जांगडा ‘राज’ की हरियाणवी कविता
अक्ल के दाणे नहीं मगज़ में, खुद बिद्वान बता रे सै ।झूठे भरै हुंकारे सारे , रै भेड चाल में…
दिन – संगीता बैनीवाल
बाजरे की सीट्टियां पै खेत की मचाण पै चिड्ड़ियां की लुक-मिच्चणी संग खेल्या अर छुपग्या दिन। गोबर तैं लीपे आंगण…