अज्ञेय हिंदी साहित्य में एक कवि, लेखक तथा निबन्धकार के रूप में जाने जाते हैं. अज्ञेय अपनी रचनाओं में व्यक्तिस्वतंत्रता के पक्षधर थे. उनका मानना था कि मनुष्य समाज में रहते हुए पूर्ण रूप से स्वतंत्र है. 'सौंदर्य बोध और शिवत्व बोध' नामक अपने इस निबन्ध में उन्होंने कला में सौदर्य तत्व तथा शिवत्व यानि मंगलकारी होने के भाव को भिन्न भिन्न माना है जबकि 'संस्कृति और सौन्दर्य' नामक अपने निबन्ध में नामवर सिंह शिवत्व- बोध सहित रचना को ही सुंदर कहते हैं. विद्यार्थियों के लिए यह शोध का विषय हो सकता है.