ऐसे अपनी दुआ क़ुबूल हुई-बलबीर सिंह राठी

 ग़ज़ल ऐसे अपनी दुआ क़ुबूल हुई,राह तक मिल सकी न मंजि़ल की,कारवाँ से बिछडऩे वालों को,उन की मंजि़ल कभी नहीं…

ये अलग बात बच गई कश्ती -बलबीर सिंह राठी

 ग़ज़ल ये अलग बात बच गई कश्ती,वरना साजि़श भंवर ने ख़ूब रची। कह गई कुछ वो बोलती आँखें,चौंक उट्ठी किसी…

पहले कोई ज़ुबाँ तलाश करूँ – बलबीर सिंह राठी

 ग़ज़ल पहले कोई ज़ुबाँ तलाश करूँ,फिर नई शोखियाँ1 तलाश करूँ।अपने ख्वाबों की वुसअतों2 के लिए,मैं नये आसमां तलाश करूँ।मंजि़लों की…

कौन बस्ती में मोजिज़ा गर है -बलबीर सिंह राठी

 ग़ज़ल कौन बस्ती में मोजिज़ा गर है, हौंसला किस में मुझ से बढ़ कर है। चैन    से   बैठने   नहीं  …