जागो फिर एक बार – सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

कविता जागो फिर एक बार!प्यार जगाते हुए हारे सब तारे तुम्हेंअरुण-पंख तरुण-किरणखड़ी खोलती है द्वार-जागो फिर एक बार! आँखे अलियों-सीकिस…

राम की शक्ति पूजा – सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

कविता रवि हुआ अस्त; ज्योति के पत्र पर लिखा अमररह गया राम-रावण का अपराजेय समरआज का तीक्ष्ण शर-विधृत-क्षिप्रकर, वेग-प्रखर,शतशेलसम्वरणशील, नील…

बादल राग – सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

कविता झूम-झूम मृदु गरज-गरज घन घोर।राग अमर! अम्बर में भर निज रोर! झर झर झर निर्झर-गिरि-सर में,घर, मरु, तरु-मर्मर, सागर…

सरोज स्मृति – सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

कविता सरोज स्मृति ऊनविंश पर जो प्रथम चरणतेरा वह जीवन-सिन्धु-तरण;तनये, ली कर दृक्पात तरुणजनक से जन्म की विदा अरुण!गीते मेरी,…