All posts tagged in सुरेश बरनवाल

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सुरेश बरनवाल प्रकाशित कृतिः संवेदनाओं संग संवाद- कहानी संग्रह 2010, कविता संग्रह- कतरा-कतरा आसमान 2015 कादम्बिनी, आजकल, देस हरियाणा, हरिगंधा, व अन्य पत्र-पत्रिकाओं में कहानी, लघुकथा, कविता, गजल, लेख, बालकविता। कथादेश, हंस, इतिहास बोध व अन्य पुस्तकों में स्वरचित चित्र प्रकाशित। विशेषः कहानी संग्रह काशी विद्यापीठ के पाठ्यक्रम में शामिल। कहानी सैनिक और बन्दूक को 2005 में भारत सरकार द्वारा आयोजित अखिल भारतीय युवा कहानीकार प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त। कहानी अस्थि विसर्जन को हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित कहानी प्रतियोगिता 2014 में तृतीय स्थान प्राप्त। विभिन्न कहानियों पर मंचन व रेडियो नाट्य प्रसारण। आकाशवाणी द्वारा कविता प्रसारण।

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कविताJuly 18, 2020

रोटी-यात्रा मेरी कोठी के बगल में बनापुराना टूटा घर अब शान्त हैवहां नहीं हैं मजदूर परिवारवह सभी चले गए हैंपैदलअपने अपने गांवहालांकि मैं किंचित् खुश हूँ/क्योंकिसुबह-सवेरे बच्चों की चिल्लपों अब

देसहरियाणा सामाजिक-सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का मंच

कविताNovember 3, 2018

कविता तुम्हें पूरा हक है खुद के खिलाफ युद्ध छेड़ देने का दरख्तों की हत्या करने का। कटे हुए इन दरख्त की चीखें अमानत होंगी तुम्हारे भविष्य की। यह तमाम

कविताOctober 31, 2018

कविता मजदूर हाट पर खड़ा मांस का जिन्स ठेकेदार आंखों में तराजू लिए इस मांस का वजन लेता है और कीमत लगाता है एक दिन की उस दिन वह मांस

देसहरियाणा सामाजिक-सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का मंच

कविताOctober 30, 2018

कविता कितनी ही बार कोई पिघलती नदी पहाड़ों से उतरती ठिठक जाती है मैं किसी चट्टान पर जब उसे उदास बैठा मिलता हूं। कितनी ही बार आसमां पर चढ़ता सूरज

कविताOctober 28, 2018

कविता नहीं अब चाक नहीं चलते कुम्हारों के गीली माटी अब नहीं महकती पहिया नहीं घूमता हमारी पृथ्वी सा न ही कुम्हार के हाथ माटी से सने मिलते हैं धूप

देसहरियाणा सामाजिक-सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का मंच

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