हमारे शैशवकालीन अतीत और प्रत्यक्ष वर्तमान के बीच में समय- प्रवाह का पाठ ज्यों-ज्यों चौड़ा होता जाता है त्यों-त्यों हमारी स्मृति में अनजाने ही एक परिवर्तन लक्षित होने लगता है।
हमारे शैशवकालीन अतीत और प्रत्यक्ष वर्तमान के बीच में समय- प्रवाह का पाठ ज्यों-ज्यों चौड़ा होता जाता है त्यों-त्यों हमारी स्मृति में अनजाने ही एक परिवर्तन लक्षित होने लगता है।