बौद्धकालीन भारतीय विश्वविद्यालयों के स्वरूप, शिक्षा व्यवस्था, पाठ्यक्रम व उसकी उपयोगिता पर आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का ज्ञानवर्धक आलेख.
बौद्धकालीन भारतीय विश्वविद्यालयों के स्वरूप, शिक्षा व्यवस्था, पाठ्यक्रम व उसकी उपयोगिता पर आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का ज्ञानवर्धक आलेख.
अगर उत्तर भारत को समस्त जनता के आचार-विचार, भाव-भाषा, रहन-सहन, आशा-आकांक्षा, दुःख-सुख और सूझ-बूझ को जानना चाहते हैं तो में आपको निःसंशय बता सकता हूँ कि प्रेमचन्द से उत्तम परिचायक
निंदा कुछ लोगों की पूंजी होती है। बड़ा लंबा-चौड़ा व्यापार फैलाते हैं वे इस पूंजी से। कई लोगों की ‘रिस्पेक्टेबिलिटी’ (प्रतिष्ठा) ही दूसरों की कलंक-कथाओं के पारायण पर आधारित होती