Post Views: 266 सुभाष चन्द्र सदियों से हमें गांवों में मंदिरों में, स्कूलों में कहीं घुसने नही दिया गया क्या कर लिया हमने ? शम्बुक की हत्या की गयी एकलव्य…
तुर्कों की निरंकुशता के विरुद्ध-संघर्ष – बुद्ध प्रकाश
Post Views: 574 बुद्ध प्रकाश 24 जून, 1206 को कुतबुद्दीन ऐबक दिल्ली के राजसिंहासन पर बैठा और उत्तरी भारत के तुर्क राज्य की प्रतिष्ठापना की। मध्यवर्ती एशिया के धर्मांध तथा…
हरियाणा का इतिहास-अल्पतंत्रीय वर्ग का उत्थान – बुद्ध प्रकाश
Post Views: 295 बुद्ध प्रकाश यौधेयों ने, जिनके विषय में पहले उल्लेख किया जा चुका है, ई, पू. की प्रथम तथा द्वितीय शताब्दी के उत्तरार्ध में अपनी मुद्रा चला कर…
ओ. पी. सुथार – वर्तमान कृषि संकट और किसान आन्दोलन
Post Views: 535 गतिविधियां सिरसा में अखिल भारतीय किसान सभा के 34 वे राष्ट्रीय सम्मेलन तैयारी के लिए स्वागत समिति के गठन के अवसर पर ‘युवक साहित्य सदन’ के सभागार…
तुम कबीर न बनना- हरभजन सिंंह रेणु
Post Views: 636 कविता जब मेरे दोस्त मुझे कबीर बना रहे थे मैं प्यादों की ताकत से ऊंटों की शह मात बचा रहा था घोड़े दौड़ा रहा था…
प्रतिकर्म -हरभजन सिंंह रेणु
Post Views: 490 कविता मुझे मत कहना गर मैं कविता करते-करते शब्दों की जुगाली करने लगूं और सभ्य भाषा बोलते-बोलते बौराये शराबी की तरह चिल्लाने लगूं बेइखलाकी पर उतर जाऊं…
कहा था न -हर भजन सिंह रेणु
Post Views: 768 कविता मैंने तुम्हें कहा था न मत कर कबीर-कबीर और अब शहर के बाहर खड़ा रह अकेला। अपने फुंके घर का देख तमाशा हक सच की आवाज…
वैश्वीकरण -हरभजन सिंंह रेणु
Post Views: 551 कविता मैं खौफनाक चाबुकधारी नहीं कांप जाओगे जिससे। मैं पुष्प अणु हूं तुम्हारी सांसों तुम्हारे लहु में समा जाऊंगा मस्तिष्क पर बैठ करके सम्मोहित कर दूंगा मदहोश।…
सीढ़ी -हरभजन सिंंह रेणु
Post Views: 530 कविता मनुष्य जीवनभर तलाशता है सीढ़ी ताकि छू सके कोई ऊंची चोटी एक ऊंचाई के बाद तलाशता है दूसरी सीढ़ी औ’ हर ऊंचाई के बाद नकारता है…
बनवास -हरभजन सिंंह रेणु
Post Views: 518 कविता वनों की ओर जाना ही नहीं होता बनवास जब भी अकेलापन करता है उदास ख्यालों के कुरंग नाचते हैं चुप्पी देती है ताल उल्लू चीखते हैं…