Post Views: 736 भारतीय मानस धर्मप्राण है इसलिए भारतीय साहित्य अपने स्वभाव में अध्यात्मवादी, रहस्यवादी है; यह धारणा औपनिवेशिक दौर में बनी। राजनीति में साहित्य की दिलचस्पी आधुनिक काल में…
तरक्कीपसंद शायर आबिद आलमी की ग़ज़लगोई – ज्ञान प्रकाश विवेक
Post Views: 838 देश का विभाजन एक न भूलने वाली घटना थी। यह एक ऐसी त्रासदी थी, जिसने भूगोल ही नहीं, अवाम को भी तकसीम करके रख दिया। जो उधर…
आबिद आलमी की कुछ यादें – महावीर शर्मा
सुना कर अपनी अपनी जाने वालों
सुनो मेरा तो किस्सा रह रहा है।
चसवाल साहेब यानी आबिद आलमी सिद्धांत के आदमी थे – शशिकांत श्रीवास्तव
अत्यंत धीर, गम्भीर चसवाल साहेब सिद्धांतों के आदमी थे, बल्कि यह कहना ज्यादा ठीक होगा कि वह सिद्धांतों के नहीं, बल्कि एक ही सिद्धांत के आदमी थे। उसी सिद्धांत ने उनकी तमाम शायरी को प्रेरित किया और वह उनकी सभी गतिविधियों के पीछे दिखाई देता था। चसवाल साहेब किसी भी शक्ल में किसी का भी, कहीं भी कोई शोषण नहीं सह पाते थे और उसके विरुद्ध आवाज उठाना वह अपना पहला इन्सानी फर्ज समझते थे।
लोक-रंग की आंच में पकाया हबीब ने अपना रंग-लोक -डा. सुभाष चंद्र
Post Views: 996 लोक-रंग की आंच में पकाया हबीब ने अपना रंग-लोक सुभाष चंद्र रंगमंच की दुनिया में हबीब तनवीर एक ऐसा नाम है जो पिछले साठ साल से कलाकारों…
भारत-पाकिस्तान विभाजन: जैसा मैंने देखा – डा. लक्ष्मण सिंह
Post Views: 403 संस्मरण मैं जब जाट हाई स्कूल की प्रथम कक्षा में दाखिल हुआ, उस समय 10-11 वर्ष का था। स्कूल जींद के रेलवे स्टेशन से पूर्व की ओर…
दलित जब लिखता है
सुनो ब्राह्मण – और सफेद हाथी
मलखान सिंह की कविताएं
हरियाणा सृजन उत्सव में 24 फरवरी 2018 को ‘दलित जब लिखता है’ विषय पर परिचर्चा हुई। प्रख्यात दलित कवि मलखान सिंह ने अपने अनुभवों के माध्यम से भारतीय समाज व दलित साहित्य से जुड़े ज्वलंत और विवादस्पद सवालों पर अपने विचार प्रस्तुत किए और दो कविताएं सुनाई
पत्र-पत्रिकाएं : साहित्यिक सरोकार एवं प्रसार
Post Views: 1,027 प्रस्तुति – गुंजन कैहरबा सृजन उत्सव के दौरान 25 फरवरी को ‘पत्र-पत्रिकाएः साहित्यिक सरोकार एवं प्रसार’ विषय पर परिसंवाद का आयोजन हुआ। जिसमें ‘युवा संवाद’ पत्रिका के…