वास्तविक रचनाकार दूर खड़ा तमाशा नहीं देख रहा

कभी दरों से कभी खिड़कियों से बोलेंगे सड़क पे रोकोगे तो हम घरों से बोलेंगे कटी  ज़बाँ  तो   इशारे  करेंगे  आँखों …