Posted in देस हरियाणा संपादकीय वास्तविक रचनाकार दूर खड़ा तमाशा नहीं देख रहा Estimated read time 0 min read Posted on May 29, 2018June 26, 2021 by डा. सुभाष चंद्र कभी दरों से कभी खिड़कियों से बोलेंगे सड़क पे रोकोगे तो हम घरों से बोलेंगे कटी ज़बाँ तो इशारे करेंगे आँखों …