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सामयिकFebruary 22, 2024

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर युद्धों में मानव रहित विमान (UAV, unman aerial vehicle) का जमकर इस्तेमाल हो रहा है।  2021 में उस समय भारतीय सेना के अध्यक्ष रहे जनरल मनोज मुकुंद

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आलोचनाFebruary 5, 2024

साहित्य व समाजशास्स्त्री ,दलित और जनजाति विमर्श के बाद 21वीं सदी के प्रथम दशक की दस्तक के रूप में विकलांग विमर्श स्थापित हो रहा है । वैश्विक स्तर पर आज

देसहरियाणा सामाजिक-सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का मंच

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आलोचनाSeptember 7, 2023

वर्तमान दौर में दलित विमर्श, वृद्ध विमर्श, किसान विमर्श, स्त्री विमर्श, और थर्ड जेंडर विमर्श की खूब चर्चा रही है। प्रत्येक विमर्श मानव अधिकारों की मांग करता है और समाज से अपना मानव होने के हक की मांग करता है। इन्हीं विमर्शों में थर्ड जेंडर विमर्श भी मानव से मानव अधिकारों की मांग करता है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी इनकी मांगों को उचित मानते हुए थर्ड जेंडर की मान्यता दी है। थर्ड जेंडर ने सौंपे  गए दायित्वों को भी बखूबी से निभाया है। यह इस बात का प्रमाण है कि थर्ड जेंडर किसी भी दृष्टि से अन्य वर्ग से प्रतिभा में रत्ती भर भी कम नहीं है। शबनम मौसी, कमला जान, मधु किन्नर, लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, आशा देवी आदि थर्ड जेंडर इसके उदाहरण हैं। अब आवश्यकता है समाज के सकारात्मक दृष्टिकोण की जिससे थर्ड जेंडर को मानव जीवन के अधिकारों से वंचित होने से बचाया जा सके। प्रस्तुत है डॉ. सुनील दत्त का लेख-

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डॉ. कृष्ण कुमार हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के पलवल गाँव के राजकीय महाविद्यालय में हिंदी-अध्यापन में कर्यरत हैं। विशेष रूचि आलोचना में है। अपने इर्द गिर्द की साहित्यिक गतिविधियों में निरन्तर सक्रीय रहते हैं।

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आलोचनाAugust 23, 2023

रामेश्वर महादेव वाढेकर का जन्म 20 मई, 1991 को महाराष्ट्र के जिला बीड के ग्राम सादोळा में हुआ। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनके शोधपरक आलेख निरंतर प्रकाशित होते रहते हैं। हाल फिलहाल हिंदी विषय में पीएच.डी. कर रहे हैं और साथ ही साथ सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। निचे दिए गए फोन नम्बर और ईमेल पते के जारी उनसे सम्पर्क किया जा सकता है- फोन-9022561824 ईमेल:-rvadhekar@gmail.com

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अशोक भाटिया ने लम्बे समय तक हरियाणा के करनाल जिले के कॉलेज में हिंदी का अध्ययन- अध्यापन का काम किया। वर्तमान में सेवानिवृत हैं और हिंदी कविता, कहानी और आलोचना के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होनें इधर की हिंदी लघुकथा को विकसित-प्रचारित और प्रसारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस सम्बन्ध में इनकी कई महत्वपूर्ण पुस्तकें हाल-फिलहाल में प्रकाशित हुई हैं।

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