Post Views: 24 शिमला के होटल पीटर हॉफ में मंगलवार को वर्ल्ड बैंक द्वारा हिमाचल प्रदेश सरकार को 200 मिलियन डॉलर का बड़ा कर्ज देने से पहले जन सुनवाई का…
भू-स्खलनः एक डरावनी सच्चाई – गगनदीप सिंह
पिछले साल मानसून हिमाचल प्रदेश के लिए बहुत भयंकर किस्म की तबाही लेकर आया था। आपदा प्रबंधन-भू-राजस्व विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट भू-स्खलन की एक डरावनी तस्वीर पेश करती है। यह सोचने पर मजबूर करती है कि हम विकास के नाम पर कहीं विनाश की कहानी तो नहीं लिख रहे। क्या इस साल भी मानसून हिमाचल के लिए तबाही लेकर आयेगा।
मौलाना अबुल कलाम आजाद : हिन्दूस्तानियत की मिशाल
मुस्लिम लीग के ‘टू नेशन थ्योरी’ का मौलाना आजाद द्वारा लगातार विरोध करने के बावजूद अंत में उनकी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भी विभाजन के लिए राजी हो गई। मौलाना इससे बहुत दुखी थे। 15 अप्रैल, 1946 को उन्होंने कहा कि मुस्लिम लीग की अलग पाकिस्तान की मांग के दुष्परिणाम न सिर्फ भारत बल्कि खुद मुसलमानों को भी झेलने पड़ेंगे क्योंकि वह उनके लिए ज्यादा परेशानियां पैदा करेगा।
नरेन्द्र दाभोलकर : अंधविश्वास के खिलाफ शहादत
डॉ. दाभोलकर ने ‘सामाजिक कृतज्ञता निधि’ की स्थापना की थी जिसके तहत परिवर्तनवादी आंदोलन के कार्यकर्ताओं को प्रतिमाह मानदेय दिया जाता है। उन्होंने अंधविश्वास उन्मूलन से संबंधित एक दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। उनमें ‘ऐसे कैसे झाले भोंदू’ (ऐसे कैसे बने पोंगा पंडित), ‘अंधश्रद्धा विनाशाय’, ‘अंधश्रद्धा: प्रश्नचिन्ह आणि पूर्णविराम’(अंधविश्वास: प्रश्नचिन्ह और पूर्णविराम), भ्रम आणि निरास, प्रश्न मनाचे (सवाल मन के) आदि प्रमुख हैं।
दौलत सिंह कोठारी : लोक सेवा का लोकोन्मुख नजरिया
गाँधी, लोहिया के बाद आजाद भारत में भारतीय भाषाओं की उन्नति के लिए जितना काम डॉ. कोठारी ने किया उतना किसी अन्य ने नहीं। यदि सिविल सेवाओं की परीक्षा में अपनी भाषाओं में लिखने की छूट न दी जाती तो गाँव, देहात के गरीब और आदिवासी लोग उच्च सेवाओं में कभी नहीं जा पाते।
टी.एन.शेषन : राजनेताओं के लिए अल्सेशियन
हालांकि शेषन एक धार्मिक व्यक्ति थे लेकिन जब वे मुख्य चुनाव आयुक्त होकर आए तो सबसे पहले उन्होंने अपने कार्यालय से सभी देवी- देवताओं की मूर्तियाँ और कैलेंडर हटवा दिए। अपना फैसला लेने की क्षमता के लिए भी शेषन जाने जाते हैं। जब राजीव गांधी की हत्या हुई तो उन्होंने चुनाव स्थगित कर दिया था।
ज्याँ द्रेज : गरीबों का भारतीय अर्थशास्त्री
आदिवासियों के बीच काम करते हुए देखकर कुछ लोगों ने ज्याँ द्रेज का संबंध नक्सलियों से भी जोड़ने की कोशिश की। वे नक्सलियों से किसी भी तरह के संबध से इनकार करते हैं। उनका मानना है कि नक्सलियों का आन्दोलन पिछले पचास वर्ष से भी अधिक दिनों से चल रहा है किन्तु इसका परिणाम क्या निकला ? हत्याएं, विनाश और तबाही।
राहुल सांकृत्यायनः सत्य की खोज का नायाब पथिक – अमरनाथ
Post Views: 55 “वैसे तो धर्मों में आपस में मतभेद है। एक पूरब मुँह करके पूजा करने का विधान करता है, तो दूसरा पश्चिम की ओर। एक सिर पर कुछ…
जॉकिन अर्पुथम : झोपड़पट्टियों का सम्राट
एक बार तो उन्हें जॉकिन के काम के लिए अपनी साड़ी भी बेचनी पड़ी थी। जॉकिन ने स्वयं अपना टाइपराइटर उन्हीं दिनों गिरवी रखा था। इसके बावजूद वे कभी किसी के सामने झुके नहीं और न लालच में पड़े। सुविधा उपलब्ध होने के बावजूद वे स्लम में ही रहे।
कर्पूरी ठाकुर : ऐसा जननायक दूसरा नहीं हुआ
उनकी दशा देखकर चंद्रशेखर ने वहाँ उपस्थित नेताओं से मुख्यमंत्री के कुर्ता-फंड में दान माँगा, लोगों ने कुछ न कुछ दिया। रूपए लेकर उन्होंने कर्पूरी ठाकुर को थमाया और कहा कि, “ इससे अपना कुर्ता-धोती ही खरीदिए। कोई दूसरा काम मत कीजिएगा।“ चेहरे पर बिना कोई भाव लाए कर्पूरी ठाकुर ने कहा, ‘’इसे मैं मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करा दूंगा।”