एक गांव दो चेहरे – सहीराम

Post Views: 232 कोई दो महीने पहले यह गांव पहली बार तब चर्चा में आया था,जब बीजिंग ओलंपिक में इस गांव के बेटे विजेंद्र ने मुक्केबाजी में कांस्य पदक जीत…

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हम तालिबान बनना चाहते हैं – सहीराम

Post Views: 183 सहीराम  खाप पंचायती वैसे तो तालिबान बन ही चुके थे, सब उन्हें मान भी चुके थे। लेकिन पक्के और पूरे तालिबान बनने की उनकी इच्छा ने इतना…

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मीडिया में हरियाणवी महिला की छवि – सहीराम

Post Views: 653 सहीराम  मीडिया में हरियाणवी महिला की छवि क्या है? जैसे हरियाणवी पुरुष जिसे आमतौर पर हाळी-पाळी कहा जाता है, की छवि खेतों में खटनेवाले एक मेहनतकश किसान…

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भाईचारे की अवधारणा और खाप पंचायतें -सहीराम

Post Views: 403 वैसुधैव कुटुंबम की हमारी प्राचीन अवधारणा, जो वास्तव में इंसानी भाईचारे की अवधारणा है, इसे अंतर्राष्टीय फलक प्रदान करती है, जहां राष्ट्र का भाईचारा सामने आता है।…

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1857, किस्सा सदरूद्दीन मेवाती का – सहीराम 

Post Views: 1,208 नौटंकी पात्र : नट तथा नटी। दो देहाती (बार-बार उन्हीं को दोहराया जा सकता है),एक ढिढ़ोरची (दो देहातियों में एक हो सकता है या नट भी हो…

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कुछ मुंबइया फिल्में और हरियाणवी जनजीवन का यथार्थ – सहीराम

Post Views: 425 अभी तक यही माना जाता रहा है कि हरियाणवी जन जीवन खेती किसानी का बड़ा ही सादा और सरल सा जन जीवन है। इसमें न कोई छल-कपट…