मंगलेश डबराल की पांच कविताएं

एक बड़ा रचनाकार उत्तरोतर प्रासंगिक होता जाता है. मंगलेश डबराल अब इस दुनिया में नहीं हैं, उनके बाद उनकी कविताएँ विरासत के रूप में हमारे पास हैं. प्रस्तुत हैं एक फूल की तरह नाजुक और पवित्र कवि (आलोक धन्वा के शब्दों में) की पांच ऐसी कविताएँ जो उसकी प्रासंगिकता का सशक्त प्रमाण हैं-