Post Views: 627 शमशेर कैंदल हमसफीर छोटे दिन और लंबी रातें, मोटे मोटे अब वस्त्रा भाते, काम चले नहीं वर्दी का, आओ करें स्वागत सर्दी का। छोड़ा जाए ना अब…
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