Post Views: 335 मेरे दिमाग में स्वराज की जो कई परिभाषाएं चक्कर काटती रही हैं, उन्हें मैं पाठकों के सामने रखने की इजाज़त चाहता हूं। (1) स्वराज का मतलब है-अपने…
गढ़ घासेड़ा – ऐतिहासिक गांव – सिद्दीक अहमद मेव
Post Views: 1,141 सिद्दीक अहमद मेव (सिद्दीक अहमद मेव पेशे से इंजीनियर हैं, हरियाणा सरकार में कार्यरत हैं। मेवाती समाज, साहित्य, संस्कृति के इतिहासकार हैं। इनकी मेवात पर कई पुस्तकें…
हरियाणा का इतिहास-प्रारम्भिक काल
Post Views: 533 बुद्ध प्रकाश वर्तमान हरियाणा राज्य, देश का वह भाग है जहाँ भारतीय संस्कृति अद्भुत, पल्लवित, विकसित एवं समृद्ध हुई है। इतिहास के प्रारम्भ में यहीं पर उन…
हरियाणा का इतिहास-कुरु कीर्ति का चरमोत्कर्ष – बुद्ध प्रकाश
Post Views: 366 बुद्ध प्रकाश कालांतर में कुरु साम्राज्य राजनीतिक गौरव तथा आर्थिक उत्थान का केंद्र बन गया। महाभारत से यह पता चलता है कि उस समय कुरुवंश का गौरव…
महाभारत-युद्ध के दुष्परिणाम – बुद्ध प्रकाश
Post Views: 455 बुद्ध प्रकाश महाभारत में वर्णित अनुसार कुरुओं के पतन से यह क्षेत्र बिल्कुल ही नष्ट-भ्रष्ट हो गया। उपनिषद् में कुरु के पतन का टिड्डीदल द्वारा उनकी फसलों…
हरियाणा-आक्रमण तथा एकीकरण का इतिहास – बुद्ध प्रकाश
Post Views: 570 बुद्ध प्रकाश इस प्रकार लोग कृषि-कार्य में प्रवृत्त हो गये जबकि पूर्व में साम्राज्य-वादी गतिविधियों तथा उत्तर-पश्चिम में आक्रमणकारी शक्तियों की गति तीव्र से तीव्रतर होती गई।…
हरियाणा का इतिहास-सैन्य तंत्र का विकास – बुद्ध प्रकाश
Post Views: 986 बुद्ध प्रकाश चौथी शताब्दी में गुप्त वंश ने उत्तरी भारत को एकता प्रदान की। हरियाणा के लोगों ने उनकी इस कार्रवाई का स्वागत किया तथा…
हरियाणा का इतिहास-राजकीय वैभव के पथ पर – बुद्ध प्रकाश
Post Views: 289 बुद्ध प्रकाश गुप्त युग में शांतिकाल के दौरान हरियाणा का भौतिक एवं आर्थिक विकास हुआ। यहां के लोग देश के अन्य भागों में फैल गए, जहां वे…
धर्म और हमारा स्वतन्त्रता संग्राम; भगत सिंह
Post Views: 465 धर्म और हमारा स्वतन्त्रता संग्राम – भगत सिंह“हमारी आज़ादी का अर्थ केवल अंग्रेजी चंगुल से छुटकारा पाने का नाम नहीं, वह पूर्ण स्वतंत्रता का नाम है जब…
पंज प्यारे – जातिवाद पर कड़ा प्रहार और जनवाद का प्रतीक
अपना शीश देने के लिए तैयार हुए पांचों व्यक्तियों में से ज्यादा समाज द्वारा नीची समझी जाने वाली जातियों में थे और खासतौर पर दस्तकार थे। उनमें से एक खत्री था, एक जाट, एक धोबी, एक नाई और एक कुम्हार था। इस से पता चलता है कि गुरु गोबिंद सिंह जी को तमाम जातियों और खासकर छोटी समझी जाने वाली जनता का अपार समर्थन था। उसे मेहनतकश किसान और मजदूरों का समर्थन हासिल था। उसे व्यापारी वर्ग का समर्थन था।