विनोद स्वामी – राजस्थान में किसान आंदोलन

बीजो ना इब बाजरी, बीजो हिवड़े आग। क्रांति फसलां काटस्यां, किस्सा काती लाग।। राजस्थानी साहित्यकार रामस्वरूप किसान ने जब यह दोहा लिखा, तब राजस्थान का किसान नई सदी राह पर विरासत में मिले अकाल की परम्परा को जेहन में लिए खड़ा था। राजस्थान का नाम जुबान पर आते ही दूर-दूर तक पसरी धोरां धरती का बिम्ब बनता है। एक मंथर
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