विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ वरिष्ठ साहित्यकार आनंद प्रकाश ‘आर्टिस्ट’ ने ‘खोया हुआ विश्वास’ उपन्यास में जातीय आधार पर आरक्षण आंदोलन को वर्ण्य-विषय बनाकर वर्तमान ज्वलंत समस्या को अपने हिसाब से उजागर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ वरिष्ठ साहित्यकार आनंद प्रकाश ‘आर्टिस्ट’ ने ‘खोया हुआ विश्वास’ उपन्यास में जातीय आधार पर आरक्षण आंदोलन को वर्ण्य-विषय बनाकर वर्तमान ज्वलंत समस्या को अपने हिसाब से उजागर
हरियाणवी कविता मींह बरसै सामण की रूत मै गात हंगाई कर रह्या री। कद आवैगा भरतार बता दे दिल कोनी डाटे डट रह्या री। महीने भर का नाम लिया था
जुल्मी होया जेठ, तपै सै धरती सारी ताती लू के महां, जलै से काया म्हारी। सूख गे गाम के जोहड़, ना आवै नहरां म्हैं पाणी बिजली भी आवै कदे-कदे, सब
दस-दस कोस सफर काटते मोटर ठेल्या का टोटा था। रेहङू पै खेता म्है जाणा, राबड़ी का ठंडा कलेवा था।