भारतमाता – सुमित्रानंदन पंत

कविता भारत माताग्रामवासिनी।खेतों में फैला है श्यामलधूल भरा मैला सा आँचल,गंगा यमुना में आँसू जल,मिट्टी कि प्रतिमाउदासिनी। दैन्य जड़ित अपलक…

निंदा-रस – हरिशंकर परसाई

निंदा कुछ लोगों की पूंजी होती है। बड़ा लंबा-चौड़ा व्यापार फैलाते हैं वे इस पूंजी से। कई लोगों की ‘रिस्पेक्टेबिलिटी’…