लिंग-संवेदी भाषा की ओर एक कदम – डा. सुभाष चंद्र

अपने अल्फ़ाज पर नज़र रक्खो,इतनी बेबाक ग़ुफ्तगू न करो,जिनकी क़ायम है झूठ पर अज़मत,सच कभी उनके रूबरू न करो। – बलबीर सिंह…