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रीतिमुक्त धारा के कवि आनन्दघन और सुजान

Post Views: 22 यह सूधौ सनेह कौ मारग है, इहां नैकु सयानप बांक नहींतुम कौन धौं पाटी पढे हौ लला, मन लेहु पै देहु छटांक नहीं ? आनन्दघन ने अपनी…