कविता रवि हुआ अस्त; ज्योति के पत्र पर लिखा अमररह गया राम-रावण का अपराजेय समरआज का तीक्ष्ण शर-विधृत-क्षिप्रकर, वेग-प्रखर,शतशेलसम्वरणशील, नील…
कविता रवि हुआ अस्त; ज्योति के पत्र पर लिखा अमररह गया राम-रावण का अपराजेय समरआज का तीक्ष्ण शर-विधृत-क्षिप्रकर, वेग-प्रखर,शतशेलसम्वरणशील, नील…