Post Views: 70 सुणो अजूबा खास भाई, कर पक्का विश्वास आई रचा नया इतिहास भाई, वीर उधम सिंह ने सात साल की उम्र हुई जब, पहाड़ दुखों का टूट गया…
किसानी चेतना की एक रागनी और एक ग़ज़ल- मनजीत भोला
मनजीत भोला का जन्म सन 1976 में रोहतक जिला के बलम्भा गाँव में एक साधारण परिवार में हुआ. इनके पिता जी का नाम श्री रामकुमार एवं माता जी का नाम श्रीमती जगपति देवी है. इनका बचपन से लेकर युवावस्था तक का सफर इनकी नानी जी श्रीमती अनारो देवी के साथ गाँव धामड़ में बीता. नानी जी की छत्रछाया में इनके व्यक्तित्व, इनकी सोच का निर्माण हुआ. इन्होने हरियाणवी बोली में रागनी लेखन से शुरुआत की मगर बाद में ग़ज़ल विधा की और मुड़ गए. इनकी ग़ज़लों में किसान, मजदूर, दलित, स्त्री या हाशिये पर खड़े हर वर्ग का चित्रण बड़ी संजीदगी के साथ चित्रित होता है. वर्तमान में कुरुक्षेत्र में स्वास्थ्य निरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं.
औरत की कहानी – रामफल गौड़
Post Views: 45 रागनी देवी अबला पां की जूत्ती, मिले खिताब हजार मनैं, जब तै बणी सृष्टि, कितने ओट्टे अत्याचार मनैं ।।टेक।। परमगति हो सती बीर की, पति की गैल…
वक्ता और सरोता की जिब एक्के भास्सा सै – मंगतराम शास्त्री
हरियाणवी ग़ज़ल
हांसण खात्तर मनवा बेफिकरा चहिये सै – मंगतराम शास्त्री
हरियाणवी ग़ज़ल
सिपाही के मन की बात – मंगतराम शास्त्री
Post Views: 149 कान खोल कै सुणल्यो लोग्गो कहरया दर्द सिपाही का। लोग करैं बदनाम पुलिस का धन्धा लूट कमाई का।। सारी हाणां रहूँ नजर म्ह मेरी नौकरी वरदी की…
सै दरकार सियासत की इब फैंको गरम गरम – मंगतराम शास्त्री
मंगतराम शास्त्री हरियाणा के समसामयिक विषयों पर रागनी लिखते हैं. यथार्थपरकता उनकी विशेषता है.
इसाए जी हो गरीब्बां जो अन्न पाणी वो दास – धनपत सिंह
Post Views: 316 इसाए जी हो गरीब्बां जो अन्न पाणी वो दासइसीए हो सै भूख जयसिंह इसी ए होया कर प्यास सांप के पिलाणे तैं भाई बणै दूध का जहरप्यार…
जमाना ही चोर है – धनपत सिंह
Post Views: 355 जमाना ही चोर है, पक्षी-पखेरू क्या ढोर है कोये-कोये चोर है जग म्हं लीलो आने और दो आने काजवाहरात का चोर है कोय, कोय है चोर खजाने…
हे तूं बालम के घर जाइये चंद्रमा – धनपत सिंह
Post Views: 286 हे तूं बालम के घर जाइये चंद्रमा,जाइये चंद्रमा और के चाहिये चंद्रमा आज सखीयां तैं चाली पट, दो बात सुणैं नैं म्हारी डटघूंघट तणना मुश्किल, बोहड़ीया बणना…