हो चित्त जहाँ भय-शून्य, माथ हो उन्नतहो ज्ञान जहाँ पर मुक्त, खुला यह जग होघर की दीवारें बने न कोई…
Tag: रविंद्रनाथ टैगोर
दो पंछी – रविंद्रनाथ टैगोर
सोने के पिंजरे में था पिंजरे का पंछी,और वन का पंछी था वन में !जाने कैसे एक बार दोनों का मिलन…
बेखौफ सोच – रविंद्रनाथ टैगोर
डा.सुभाष चंद्र
एकला चलो, एकला चलो रे – रवीन्द्रनाथ ठाकुर
यदि तोर डाक सुने केउ न आसे तबे एकला चलो रे, एकला चलो, एकला चलो, एकला चलो रे। यदि केउ…