कविता,क्या तुम नहीं जानती कि मैं कभी तुमसे अलग नहीं हो सकता? क्या मैं अपने अंतर में जन्म लेने वाली सभी खुशियों, सभी आंसुओं से अलग हो सकता हूँ? रसूल
कविता,क्या तुम नहीं जानती कि मैं कभी तुमसे अलग नहीं हो सकता? क्या मैं अपने अंतर में जन्म लेने वाली सभी खुशियों, सभी आंसुओं से अलग हो सकता हूँ? रसूल
योगेश – आपकी कविताएँ शानदार हैं। इतनी बढ़िया कविताएँ एक अरसे बाद पढ़ी हैं। आपकी कविताओं के सम्बन्ध में मेरी कुछ जिज्ञासाएं हैं। सपना भट्ट– आपको कविताएँ भली लगीं यह
सांझ हो चली थी। लाइब्रेरी से बाहर निकलते हुए मौसम में कुछ ठंडक महसूस की। मैं होस्टल की तरफ हो लिया। होस्टल तक पहुँचते पहुँचते पानी गिरने लगा था। कमरे
योगेश शर्मा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र के हिंदी विभाग में शोधार्थी हैं। आधुनिक हिंदी कविता को भाषा बोध और दर्शन के परिप्रेक्ष्य में देखने समझने में रूचि है। बसंत आ गया।
योगेश शर्मा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र के हिंदी विभाग में शोधार्थी हैं। आधुनिक हिंदी कविता को भाषा बोध और दर्शन के परिप्रेक्ष्य में देखने समझने में रूचि है। कविता को वर्तमान
मेरे दोस्त प्रायः मुझे कहते थे कि तुम बातचीत भी ठिकाने की कर लेते हो और तुम्हारा दाखिला भी हो गया है पीएचडी की डिग्री के लिए लेकिन तुम्हारा बचपना