शिव कुमार मिश्र (2-2-1931—21-6-2013) जी का जाना हिन्दी जगत में सक्रिय विमर्श और रचनात्मक आलोचना के एक स्तम्भ का उखड़ जाना है। समकालीन परिदृश्य में इस वय में बहुत कम आलोचक
शिव कुमार मिश्र (2-2-1931—21-6-2013) जी का जाना हिन्दी जगत में सक्रिय विमर्श और रचनात्मक आलोचना के एक स्तम्भ का उखड़ जाना है। समकालीन परिदृश्य में इस वय में बहुत कम आलोचक
साहित्यिक मसलों की मार्क्सवादी दृष्किोण से व्याख्या करने वाले समर्थ आलोचकों में लूकाच का नाम आता है। किन्तु उनकी कुछ मुख्य स्थापनाओं के बारे में मार्क्सवादी चिन्तकों में काफी मतभेद