मुस्लिम लीग के ‘टू नेशन थ्योरी’ का मौलाना आजाद द्वारा लगातार विरोध करने के बावजूद अंत में उनकी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भी विभाजन के लिए राजी हो गई। मौलाना इससे बहुत दुखी थे। 15 अप्रैल, 1946 को उन्होंने कहा कि मुस्लिम लीग की अलग पाकिस्तान की मांग के दुष्परिणाम न सिर्फ भारत बल्कि खुद मुसलमानों को भी झेलने पड़ेंगे क्योंकि वह उनके लिए ज्यादा परेशानियां पैदा करेगा।