दोनों ओर प्रेम पलता है। सखि, पतंग भी जलता है हां! दीपक भी जलता है ! सीस हिलाकर दीपक कहता "बन्धु, वृथा ही तू क्यों दहता ?" पर पतंग पड़कर
दोनों ओर प्रेम पलता है। सखि, पतंग भी जलता है हां! दीपक भी जलता है ! सीस हिलाकर दीपक कहता "बन्धु, वृथा ही तू क्यों दहता ?" पर पतंग पड़कर