हरभगवान चावला की कविताएं मुल्तान की औरतें अस्सी पार की ये औरतें जो चलते हुए कांपती हैं लडख़ड़ाती हैं या लाठी के सहारे कदम बढ़ाती हैं धीरे-धीरे सन सैंतालीस में
हरभगवान चावला की कविताएं मुल्तान की औरतें अस्सी पार की ये औरतें जो चलते हुए कांपती हैं लडख़ड़ाती हैं या लाठी के सहारे कदम बढ़ाती हैं धीरे-धीरे सन सैंतालीस में